आप धार्मिक हैं या अधार्मिक, आप हिन्दू हैं या मुसलमान, आप भाववादी हैं या तर्कवादी, आप इहलौकिक चेतना के हिस्सा हैं या पारलौकिक चेतना के, हम किसी अंतहीन और अनुत्पादक बहस में नही पड़ना चाहते हैं। हम सीधे तौर पर गाय की उपयोगिता पर बात करना चाहते हैं। गाय अभाव की नही प्रभाव की अभिव्यक्ति है। भाव जैसा भी हो, गाय वैसा ही हमारे सामने आती है। जाकि रही भावना जैसी…।
हम चाहते हैं कि गाय हम आपके जीवन का अभिन्न हिस्सा बने, यह जीवन की एक जरुरी जरूरत है। जब गाय हमारे घर का हिस्सा थी तो थाली में जहर नही था। दूषित भोजन की कल्पना तक नही थी। ऑर्गेनिक और जैविक-उत्पाद की बहस ही कहाँ थी? यह तो भारत के गांव के हर गरीब व्यक्ति के लिए सहज उपलब्ध था। जो भोजन भारत का गरीब लोग करते थे, वह भोजन आज पांच सितारा वाले संप्रभुओं को भी नसीब नही हो रहा है।
आज हमारा रसोई रासायनिक-युद्ध का शिकार है। केमिकल-वार किसे कहते हैं, उसे हम अपनी थाली में देख सकते हैं ? हम अपने भी जहरीला भोजन कर आत्महत्या कर रहे हैं और अपनी संतान को भी मार रहे हैं। निर्वंश बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक और ऊपर से मिलावट? मिलावट और मुनाफाखोरी एक इरादतन हिंसा है। इस खेल में पूरी पीढियां तबाह हो रही है। इसे हिंसा नही तो और क्या कहा जाय ?
ऐसी आत्महंता और हत्यारी पीढी का हमारा हिस्सा होना अकल्पनीय और अनर्थकारी है । अपने लिए जीना, दूसरे के लिए जीना और दूसरों को मार कर जीना, इस प्रकृति, विकृति और संस्कृति से भी हम पार निकल गए हैं। यह विघात नही, आत्मघात है।
जब हम गो-संरक्षण और गो-संवर्धन की बात करते हैं तो यह हमारी एकांगी नही, एकीकृत अवधारणा ही होती है। कितना गाय पर निबंध लिखा जाए ? हम इतना भटक चुके हैं और दूर आ चुके हैं जहां से लौटना तो संभव नही है,पर नए रास्ते तो खोजने ही पड़ेंगे।
गाय मील का पत्थर हो सकती है। यहां से जीवन संरक्षण और संवर्धन का रास्ता निकल सकता है। दैहिक, दैविक और भौतिक हर स्तर की बेहतरी, गाय को जीवन की चेतना और चिंतन के केंद्र में रखकर पाई जा सकती है।इससे इस आत्महीन संस्कृति की चाल भी बदलेगी और चरित्र भी बदलेगा।
गाय,गांव,गंगा,गीता,गांधी और गुरुजी का रास्ता राहत और रहमत का रास्ता है। गाय का रास्ता अमन-चैन और शांति सद्भाव का रास्ता है। ध्यान रहे गाय की अहिंसा, कायरता नही है। यह हमारा पुरुषार्थ है। यही हमारी ‘स्वयमेव मृगेन्द्रता’ है।
हमारे पास दर हो, गाय हमारे दर पर हो, तो यह बहुत अच्छा है। पर हम ही दरबदर हों तो गाय को किस दर पर रखेंगें? हम जानते हैं कि गाय आपके दिल में है और इसकी व्यापकता आप महसूसते हैं, तो हम आपकी गो-चेतना के साथ खड़े हैं।
गोकशी की तमन्ना अब किसी दिल में नही है। बाजू-ए-कातिल का जोर देखने में वक्त जाया क्यों कर रहे हैं ?
बाजारमुक्त बीज, खेती किसानी, जैविक-खाद, जैविक-खेती, जैविक-उत्पाद पर हम बड़े प्रयोग कर रहे हैं । हजारों बीघे जमीन पर गोपालन, जैविक खाद, जैविक खेती और और बड़े स्तर पर किसानों से जुड़ने और जोड़ने का अभियान चल रहा है ।
अबतक हमारे पास बारह हजार गाएं संरक्षित और संवर्धित हो रही हैं। आप हमारा साथ लें, साथ दें या फिर साथ-साथ हो जाएं।
★ आपको क्या करना है ★
1. आप स्वयं गाय पालें 2. गो-दान करें 3. गो-धन योजना से जुड़ें 4. कम से कम एक गाय के लिए एक शाम, दो शाम, एक महीना, एक साल और दस साल के भोजन का भार वहन करें.