जीएसटी मतलब गौ-सेवा-ट्रस्ट नहीं होताl देश के गैर-हिन्दुओं को जीएसटी समझ में नहीं आ रहा है l ये तो पहले से ही गो-सेवकों को सर्विस-टैक्स के रूप में अपनी शहादतें देते रहे हैं l आप यह मान लीजिये कि यह आर्थिक आजादी का शंखनाद हैl अब देश में किसी प्रकार की गुलामी के खतरे मौजूद नहीं हैं? इस देश पर किसी का कोई कर्ज भी नहीं है? यह देश स्वावलंबी हो चुका है l भारत के कास्तकार, शिल्पकार, चर्मकार, कर्मकार, स्वर्णकार सभी आजाद हो चुके हैं? सभी के अपने बाजार हैं और मिल रहे अपने लाभकारी मूल्य हैंl मजाल क्या है कि कोई किसान अब आत्महत्या करे l आर्थिक-आजादी का यह शंखनाद जो कुछ कह रहा है वह यही है कि अब कोई आर्थिक विषमता की बात ना करेl
‘कर’ भला तो होवे भलाl ‘एक-राष्ट्र, एक-कर’ का नया नारा भोंपू की तरह बज रहा हैl कर जोड़कर ही राष्ट्र अब एक होगा l यही प्रधानमंत्री का कर-सूत्र है l ‘एक राष्ट्र-एक जन’ के सवाल अब बासी हो चुके हैंl महाभारत में अर्जुन ‘कर’ जोड़कर खड़े हैं. भागवत-ज्ञान प्राप्त करने के लिए अर्जुन को अट्ठारह अध्याय पढना पड़ा l मोदी को भी अट्ठारह अध्याय पढना पड़ा तब कही जाकर इन्हें कर-ज्ञान प्राप्त हुआ l मोदी पर भागवत-ज्ञान का व्यापक असर हैl मोदी जी का भाषण तो सुन ही लिए होंगें आप जो उन्होंने सेन्ट्रल-हाल में दिया था l उन्होंने विपक्ष की प्रशंसा भी की है l इस ऐतिहासिक-क्षण से कांग्रेस, वाम और समाजवादियों का मोदी के जलसे में शामिल न होना, भाजपा नेताओं द्वारा इसे ऐतिहासिक भूल साबित किया गया l देर रात हम सब आर्थिक-आजादी का जश्न मनाते रहे l देश इस आर्थिक आजादी को पाकर नाच-नाच कर थक सा गया है l
ऐसा ही नाच गान हमारा हुआ था जब हमने राजनीतिक आजादी प्राप्त की थीl नाचते-गाते हम उस आजादी के सत्तर बरस गुजार दिए l उस राजनीतिक आजादी के हस्र हमारे सामने हैंl इस आजादी के बाद भाजपा को कांग्रेस से आजादी चाहिए, समाजवादियों से आजादी चाहिए, इतिहास से आजादी चाहिए, वाम और बहुजन से आजादी चाहिए l सांस्कृतिक-आजादी पाने के लिए और ही भगवत-ज्ञान प्राप्त करना होगा इस सरकार को l विपक्ष को यह पता ही नहीं चल रहा है कि इस आर्थिक आजादी का विरोध आखिर किस तरह करे l इस जीएसटी को लेकर विरोध के जो भी छिट-पुट स्वर उभरे वे राजनीतिक-विरोध ही साबित होकर रह गए l कहीं-कहीं समाजवादियों द्वारा ट्रेनें अवश्य रोकी गयी, पर वे विरोध कर्मकांड के सिवाय और कुछ भी नहीं l बिहार की महागठबंधन-सरकार को अध-कपारी तो पहले से ही परेशान करती रही lआधी सरकार जीएसटी के पक्ष में तो आधी विरोध में l इस आर्थिक-आजादी के जश्न में नीतीश तो शामिल नहीं हुए पर विजेता के साथ खड़ा होने कारण उन्हें चौड़े होकर चलने का अवश्य मिल गया l लालू को तो अपनी ही आर्थिक-आजादी की चिंता रही है l
फिलहाल जीएसटी आर्थिक-आजादी के साथ सामाजिक-आजादी को भी छूयेगी l इस जीएसटी से केवल टोल और नाके से देश को चालीस हजार करोड़ से ज्यादा का फायदा होने की बात की जा रही है l आजीविका के ‘आधार’ आपके पास हो या न हो, पर नागरिक बने रहने के लिए आपके पास ‘आधार कार्ड’ का होना जरुरी है l आधार के बिना हर मोर्चे पर आप आधारहीन ही हैं l आधार के बिना पैन-कार्ड, पासपोर्ट और अन्य सरकारी सुविधाएं आपकी पहुँच से दूर होंगी l जीएसटी का प्रत्यक्ष फायदा अम्बानी समूहों को हैं जिन्हें इस कर-सेवा से मुक्त रखा गया है l पेट्रोल, डीजल, शराब, हवाई यातायात, शिक्षा, बस, मेट्रो,बस पर्यटन और जम्मू कश्मीर को भी मुक्त रखा गया हैl इस मुक्ति में महाकाय कंपनी के हित सुरक्षित रखे गए हैं l महामहिम ने आहिस्ते से इस ओर इशारा भी किया कि इससे थोड़ी पीड़ा होगी भी तो उसे बर्दाश्त करनी चाहिए l
विमुद्रीकरण के दौरान भी बहुत सारी घोषणाएं की गयी l आज भी वैसी ही आर्थिक आजादी की बात हो रही है जैसी बातें पूर्व के दिनों में होती रही हैंl बुनियादी सवालों पर रखे पत्थर को इस जीएसटी से हटाना, विपक्ष सहित आमलोगों को भी नागवार गुजर रहा है l जहाँ तक विपक्ष की बात है तो यहाँ भी एकजुटता नहीं है, विपक्ष बिखर गया है l सोनिया, लालू , फारुक, ममता, वाम और माया ने भले ही इस मुद्दे पर बहिष्कार किया, मगर राजनीति के चतुर बनिए ने पटेल,नेहरु सहित तमाम कांग्रेसी नेताओं का धन्यवाद कर, विपक्ष को चारो खाने चित कर दिया l
मीरा कुमार साबरमती से चरखा चलाकर लौट चुकी हैं l मीरा कुमार जीएसटी पर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं l राष्ट्रपति चुनाव करीब है l विपक्ष को जिस प्रकार सरकार ने धाराशायी किया है इस स्थिति में बिहार की इस बेटी की विवशता को समझा जा सकता है l अच्छे वक्त पर आये इस जीएसटी से कोविंद के अच्छे दिन का आना सुनिश्चित तो हुआ ही है साथ-साथ आगामी होने वाले चुनावों में यह जीएसटी बेहत डिटर्जेंट साबित होगा और सरकार की बिगडती छवि को धो डालेगा