Morbi Bridge: रविवार (30 अक्टूबर) को गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर बने केबल ब्रिज के टूट जाने की वजह से बड़ा हादसा हो गया। इस हादसे में 134 लोगों की जान चली गई जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। मच्छू नदी पर बना ये पुल 143 साल पुराना है ये तत्कालीन इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण है।
इस पुल का निर्माण मुंबई की इंजीनियरिंग कंपनी रिचर्डसन एंड क्रूड्स ने किया था। ये कंपनी साल 1858 में बनायी गई थी। इस पुल को बनाने में लगी सामग्री इंग्लैंड से मंगवाई गई थी। तब गुजरात भी बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था।
साल 2010 में मोरबी नगर पालिका की रखी गई एक किताब के मुताबिक साल 1887 में मोरबी में बने इस पुल पर एक साथ सिर्फ 15 लोगों के जाने की ही इजाजत दी गई थी। इस पुल को तत्कालीन राजा वाघाजी ठाकोर ने बनवाया था। इस किताब में ये भी लिखा है कि, “जब लोग इस पुल पर चलते थे, तो यह इतना झुक जाता था कि चलने वालों को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती थी। एक समय में केवल सीमित संख्या में लोगों को ही पुल पर जाने की अनुमति थी और इसलिए एक रुपये का नगरपालिका शुल्क लिया गया था।”
इंग्लैंड से लाया गया था पुल को बनाने की सामान
दरबारगढ़ (महल) और नज़रबाग को जोड़ने के लिए 1870 से 1922 तक मोरबी पर शासन करने वाले वाघाजी ठाकोर के शासनकाल के दौरान 1887 में निर्मित, इस पुल की सामग्री इंग्लैंड से आयात की गई थी। नगर निगम के प्रकाशन के अनुसार यह पुल 765 फीट लंबा और लगभग चार फीट चौड़ा है। “जब विपरीत किनारे पर एक रेलवे कार्यशाला थी, श्रमिकों को पार करने के लिए 15 रुपये में मासिक पास दिया जाता था … , “मरम्मत के अभाव में पुल को ज्यादातर बार बंद किया गया है।”
जानिए रिचर्ड्स एंड क्रूड कंपनी के बारे में
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, “रिचर्डसन एंड क्रूडस (1972) लिमिटेड भारी उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक अनुसूची-सी सीपीएसई है। यह साल 1858 में स्थापित की गई थी और वर्ष 1972 में संसद के एक अधिनियम से पारित किया गया था। आर एंड सी एक बड़ी इंजीनियरिंग कंपनी है और इस पर 100% सरकार का स्वामित्व है। यह विद्युत क्षेत्र, इस्पात विनिर्माण संयंत्रों, रेलवे, तेल एवं गैस, उर्वरक, चीनी उद्योग, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, जल और सीवेज उपचार संयंत्रों की पारेषण लाइन टावरों के निर्माण और गैल्वनाइजिंग परीक्षण की जरूरतों को पूरा करने वाले विभिन्न प्रक्रिया उपकरणों के निर्माण के व्यवसाय में है। ट्रांसमिशन लाइन टावरों आदि क्षेत्रों में काम करती है।”