क्या केवल नाम नदलते रहने से ही देश की जनता का कल्याण होगा? क्या नाम बदलना ही महंगाई पर काबू पाने का उपाय है? क्या मंदिर-मस्जिद का बखेरा खड़ा करके ही बेकारी की समस्या को ख़त्म किया जा सकता है? और क्या झंडा फहराने से लेकर कथित राष्ट्रवाद का स्वांग रचना ही देश भक्ति है? ऐसे बहुत से सवाल है। लेकिन जिस देश की जनता ने धार्मिक आधार और कथित राष्ट्रवाद के नाम जिस बीजेपी को वोट दिया है और केवल पांच किलो अनाज पर अपनी जमीर को बेचकर मौन है उनसे यह तो पूछा जाना ही चाहिए आखिर लोगों की हालत सुधरेगी कब? लेकिन इस सवाल को कौन पूछेगा और इसका जबाव कौन देगा। जब पांच किलो अनाज के दम्भ में सरकार किसी भी सरकार को गिराने, किसी भी पार्टी को नेस्तनाबूत करने का मादा रखती है तो फिर उसे जनता के सवालों का जबाव देने की क्या जरूरत है?
पहले मुस्लिम नामकरण से इस सरकार और इसके लोगों को परेशानी थी। ना जाने किटंर नामकरण या यूँ कहें कि मुगलों द्वारा स्थापित जगहों, शहरों और गाँव के नाम बदले गए। खैर यही है कि अभी तक लाल किला का नाम नहीं बदला है। क़ुतुब मीनार का नाम नहीं बदला है। ताजमहल का नाम नहीं बदला है। लेकिन इसकी मांग पिछले कई सालों से चल रही है। जिस दिन सरकार की मनसा पूरी होगी, उस दिन ये नाम भी बदल जायेंगे।
अभी अंग्रेजियत वाले नाम बदल रहे हैं। अंग्रेजों द्वारा स्थापित कई नाम बदले गए हैं। देश में एक बार फिर नामकरण को लेकर बहस शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने हाल ही में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया। इसके बाद से ही नए संसद भवन का नाम बदलने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
दरअसल एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मांग की है कि संसद भवन की नई इमारत का नाम बाबा साहब अंबेडकर के नाम पर रखा जाए। उन्होंने कहा, संसद संविधान से चलती है इसलिए उस भवन का नाम बाबासहेब अंबेडकर के नाम पर रखना चाहिए। ओवैसी ने तेलंगाना सरकार से अपील करते हुए कहा तेलंगाना में भी जो नई विधानसभा की इमारत बनाई जा रही है उसका नाम भी बाबासहेब अंबेडकर के नाम पर रखा जाए।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि संसद भवन की नई इमारत का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखा जाए। बता दे तेलंगाना विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव को मंजूरी दी जिसमें केंद्र सरकार से नई दिल्ली में नए संसद भवन का नाम बी आर आंबेडकर के नाम पर रखने का आग्रह किया गया।
राज्य में विधानमंडल के दोनों सदनों में तेलंगाना सरकार द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव को पारित कर दिया है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी ट्वीट कर कहा कि, देश के वर्तमान हालात एवं जनभावना को देखते हुए मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करता हूं कि “सेंट्रल विस्टा” का नाम बदलकर “बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर परिसर” किया जाए। उन्होंने कहा “सेंट्रल विस्टा” नाम गुलामी का प्रतीक लगता है, जबकि “अंबेडकर” शब्द भारत के कण-कण में विराजमान है। देखिये ये लड़ाई कब तक चलती है। राजनीति का यह खेल लुभाता भी है भरमाता भी है।