February 25, 2025

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‘2024 YR24’ महाव‍िनाशक ऐस्‍टरॉयड के भारत से टकराने की आशंका, जानें कब तक आ सकती है तबाही?

अबू धाबी
 अबू धाबी स्थित
इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमी सेंटर (IAC) ने रिसर्च के बाद घोषणा की है, कि '2024 YR24' कोड नाम वाले एक नए ऐस्‍टरॉयड की खोज की गई है, जिसके पृथ्वी से टकराने की सबसे ज्यादा आशंका है। एक्सपर्ट्स का मानना है, कि साल 2032 में यह ऐस्‍टरॉयड पृथ्वी के काफी करीब से गुजरने वाला है, जिसके धरती से टकराने की भी आशंका बन सकती है। डरने की बात ये है, कि इस ऐस्‍टरॉयड का आकार 1908 में साइबेरिया में गिरे ऐस्‍टरॉयड जितना हो सकता है, जिसने करीब 2 हजार वर्गकिलोमीटर क्षेत्र को पूरी तरह से कुचल कर रख दिया था।

इस ऐस्‍टरॉयड की खोज पिछले साल 27 दिसंबर को एटलस सिस्टम टेलीस्कोप के जरिए की गई थी। IAC के डायरेक्टर और इंटरनेशन ऐस्‍टरॉयड वार्निंग नेटवर्क के सदस्य मोहम्मद शौकत ओदेह ने जानकारी दी है, कि इस ऐस्‍टरॉयड का व्यास 40 मीटर से 100 मीटर के बीच होने का अनुमान है। ऐस्‍टरॉयड के 40 मीटर होने का मतलब है, कि इसका आकार एक क्रिकेट पिच से दोगुना ज्यादा हो सकता है। और 100 मीटर व्यास होने का मतलब है, कि इसका आकार एक फुटबॉल के पिच को कवर कर सकता है।

क्या पृथ्वी से टकरा सकता है ऐस्‍टरॉयड?
खोज के बाद से ही इस ऐस्‍टरॉयड पर लगातार नजर रखी जा रही है और इसे टोरिनो स्तर पर क्लासिफाइड किया गया है, जिसके पृथ्वी से 1.2 प्रतिशत तक टकराने की संभावना बन सकती है। यानि, अभी तक जितने भी ऐस्‍टरॉयड के पृथ्वी से टकराने की आशंका जताई गई है, उन सभी में इस ऐस्‍टरॉयड के टकराने की संभावना सबसे ज्यादा बन रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ये ऐस्‍टरॉयड, जिसका नाम 2024 YR4 रखा गया है, वो 25 दिसंबर के आसपास पृथ्वी के करीब पहुंचा था और उस वक्त ये 8 लाख 29 हजार किलोमीटर की दूरी पर था। ओदेह ने कहा है, कि 17 दिसंबर 2028 को ये एक बार फिर से पृथ्वी के करीब से गुजरेगा, लेकिन उस वक्त भी इसके टकराने की कोई संभावना नहीं है। लेकिन, जब ये 22 दिसंबर 2032 को तीसरी बार पृथ्वी से गुजरने वाला होगा, तो ये संभावित खतरा पैदा कर सकता है।

क्या भारत से टकरा सकता है ऐस्‍टरॉयड?
हम्मद शौकत ओदेह के मुताबिक, इस ऐस्‍टरॉयड को सिर्फ 34 दिनों के लिए देखा गया था और फिलहाल इससे काफी कम चमक बाहर आ रही है, जिसकी वजह से इसे दूरबीन से देखना काफी ज्यादा मुश्किल हो रहा है। लिहाजा उन्होंने खगोलीय वेधशालाओं से इस ऐस्‍टरॉयड पर करीब से नजर रखने की अपील की है। उन्होंने कहा, कि इस ऐस्‍टरॉयड को सबसे आसानी से साल 2028 में देखा जा सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक जो आंकड़े उपलब्ध हो पाएं हैं, उससे पता चलता है, कि ये ऐस्‍टरॉयड 22 दिसंबर 2032 को पृथ्वी के करीब एक लाख 6 हजार किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा, जिसमें मार्जिन ऑफ एरर 1.6 मिलियन किलोमीटर हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दूरी पर, यह पश्चिमी मध्य अमेरिका से लेकर उत्तरी दक्षिण अमेरिका, फिर मध्य अटलांटिक महासागर और अफ्रीका के कुछ हिस्सों से होते हुए भारत तक पहुंचने वाली एक संकीर्ण पट्टी में पृथ्वी से टकरा सकता है।

अगर टक्कर हुई तो कितना नुकसान हो सकता है?
डेटा यह भी संकेत मिले हैं, कि अगर ऐस्‍टरॉयड वाकई पृथ्वी से टकराता है, तो इसके स्तर स्थानीय हो सकते हैं। इस ऐस्‍टरॉयड का व्यास उस ऐस्‍टरॉयड के बराबर है, जो साल 1908 में साइबेरिया में तुंगुस्का घटना का कारण बना था। उस वक्त जब ऐस्‍टरॉयड टकराया था, तो करीब 2 हजार वर्ग किलोमीर का जंगल नष्ट हो गया था। उस टक्कर में 80 मिलियन से ज्यादा पेड़ उखड़ गये थे। विस्फोट का बल 10-15 मेगा टन टीएनटी के बराबर होने का अनुमान लगाया गया था।

फिलहाल, इस ऐस्‍टरॉयड पर करीब से नजर रखने और पृथ्वी से टकराने की संभावना को लेकर और भी ज्यादा जानकारियां जुटाने के लिए कहा गया है। वहीं, टोरिनो पैमाने के ऐस्‍टरॉयड में 10 डिग्री के स्केल में खतरे को मापा जाता है, जहां 10 डिग्री को उच्चतम खतरा माना जाता है।