नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार से जवाब मांगा है। सीएए को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं, कोर्ट मामले की सुनवाई नौ अप्रैल को करेगा। हालांकि शीर्ष अदालत ने इस पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं की इस संबंध में की गई मांग नहीं मानी गई। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। सीएए को लेकर कुल 237 याचिकाएं दायर की गई थीं।
सॉलिसिटर जनरल ने मांगा समय
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेटिशंस और अप्लीकेशंस का का जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा था। उन्होंने दलील दी कि कुल 237 पेटिशंस हैं। स्टे के लिए 20 अप्लीकेशन आए हैं। जवाब देने के लिए मुझे समय चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए लागू होने से किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली है। याचिकाकर्ताओं के दिमाग में इसको लेकर पूर्वाग्रह डाला गया है।
सिब्बल ने जताई आपत्ति
एसजी मेहता ने कोर्ट से कहा कि केंद्र को कम से कम चार हफ्ते का समय चाहिए। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि स्टे अप्लीकेशंस का जवाब देने के लिए इतना समय बहुत ज्यादा है। सिब्बल ने आगे दलील दी कि अगर नागरिकता को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई तो फिर से वापस नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर अभी तक इंतजार किया गया है तो जुलाई में कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार किया जा सकता है। आखिर इतनी जल्दबाजी क्या है?
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