नई दिल्ली
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह फंड की हेराफेरी के कथित मामले में एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा को जारी किए गए समन पर तीन सप्ताह तक कोई कार्रवाई नहीं करेगा। चंद्रा ने इसी महीने एक याचिका दायर कर समन को चुनौती दी थी और इसे रद्द करने की अपील की थी।
क्या है सुभाष चंद्रा के वकील का तर्क
सुभाष चंद्रा के अधिवक्ता रवि कदम ने सेबी द्वारा शुरू की गई पूरी कार्यवाही को रद्द करने की अपील की और तर्क दिया कि पूंजी बाजार नियामक पूर्व निर्धारित तरीके से जांच को आगे बढ़ा रहा था। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने बुधवार को सेबी को चंद्रा की याचिका के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी।
सेबी के अधिवक्ता ने क्या कहा
सेबी के अधिवक्ता मुस्तफा डॉक्टर ने पीठ को बताया कि आज (20 मार्च) से तीन सप्ताह की अवधि तक समन के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। पीठ ने कहा कि हम इसे स्वीकार करते हैं। इसके साथ ही पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख तय की है। बता दें कि शेयर बाजार नियामक सेबी ने जनवरी में चंद्रा के खिलाफ कई समन जारी किए थे।
सेबी ने सहयोग नहीं करने के लगाए थे आरोप
इससे पहले फरवरी महीने में सेबी ने सुभाष चंद्रा पर आरोप लगाए थे कि वह नियामकीय जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। सेबी के मुताबिक वह लगातार अधिक समय की मांग कर रहे हैं। बता दें कि सेबी ने पिछले साल अगस्त महीने में सुभाष चंद्रा को जी समूह की कंपनियों में मैनेजमेंट के पद संभालने से रोक दिया था। सेबी ने यह कार्रवाई जी एंटरटेनमेंट के उस मामले में की जिसके तहत फंड डायवर्जन के आरोप लगे हैं। इस मामले में सुभाष चंद्रा के अलावा उनके बेटे पुनीत गोयनका के खिलाफ भी जांचभी चल रही है।
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