अहमदाबाद
गुजरात के बहुचर्चित मोरबी ब्रिज हादसे में मुख्य आरोपी जयसुख पटेल को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जयसुख पटेल को 14 महीने बाद बाहर आने को मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जयसुख पटेल को जमानत देने के साथ कुछ शर्तें भी तय की है। इसमें कोर्ट ने कहा है कि पटेल के सात दिन में ट्रायल कोर्ट में पेश होने को कहा है। मोरबी में झूलते हुए पुल के गिरने से 135 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद पीएम मोदी ने खुद मोरबी के दौरे पर पहुंचे थे और पीड़ितों से मिले थे। गुजरात मोरबी पुल दुर्घटना विधानसभा चुनावों से पहले हुई थी। पुलिस ने जयसुख पटेल को मुख्य आरोपी बताते हुए कोर्ट में आराेप पत्र दाखिल किया था।
ओरेवा समूह के साथ था पुल
अक्टूबर 2022 में मोरबी के गिरने के बाद जयसुख पटेल काफी समय तक फरार रहे थे। जनवरी 2023 में उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया था। इस पुल का नवीनीकरण औरेवा समूह द्वारा किया गया था। इसीलिए पुलिस ने जांच के बाद ओरेवा समूह के एमडी जयसुख पटेल इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया था। जयसुख पटेल ने भी हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के वकील मुकुल रोहतगी और गुजरात के वकील निरुपम नानावटी ने दलीलें दीं. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने जयसुख पटेल को सशर्त जमानत दे दी।
सरकार ने नहीं किया था विरोध
पिछले साल दिसंबर में राज्य सरकार ने अदालत को बताया था कि जयसुख पटेल एक व्यापारी हैं और उनके भागने की संभावना नहीं है। इसके अलावा उनके जेल में रहने से उनके बिजनेस पर भी असर पड़ रहा है। सरकार की तरफ से पेश हुए वकीलों ने कहा था कि इस मामले में गवाहों की संख्या बहुत ज्यादा है और सभी से जिरह में काफी वक्त लगेगा, इसलिए जयसुख पटेल को जमानत मिलने पर कोई आपत्ति नहीं है।
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