भोपाल
लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान होते ही सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। मध्य प्रदेश भी बीजेपी और कांग्रेस की तैयारी जोरों पर हैं। यहां 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस ने 22 पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। 6 पर ऐलान किया जाना बाकी है। हालांकि इनमें से दो सीट ऐसी हैं जो इस वक्त कांग्रेस के गले की फांस बनी हुई है। यहां की स्थिति को देखते हुए कांग्रेस को यहां फूक-फूक कर कदम रखना पड़ रहा है। ये दो सीटें हैं विदिशा और गुना जहां से कांग्रेस ने अपने दो दिग्गजों को चुनावी दंगल में उतारा है।
जिन 6 सीटों पर कांग्रेस की और से उम्मीदवारों का ऐलान किया जाना बाकी है उनमें विदिशा, गुना, मुरैना ग्वालियर और दामोह सीट शामिल है। माना जा रहा है कि उम्मीदवार चुनने के लिए इनमें सबसे ज्यादा मेहनत कांग्रेस को गुना और विदिशा में करनी पड़ रही है। आइए जानते हैं इसकी वजह क्या है
विदिशा में कांग्रेस के लिए क्या मुश्किल?
दरअसल विदिशा लोकसभा सीट बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है। इसके ऊपर बीजेपी ने इस बार विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा है जो खुद यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यहां शिवराज सिंह चौहान की काट ढूंढना है। ऐसे में कांग्रेस यहां सोच समझ कर उम्मीदवार का ऐलान करना चाहती है। इसके अलावा कांग्रेस में टूट का सिलसिला भी जारी है। विदिशा से ही कांग्रेस के पूर्व विधायक शशांक भार्गव आज बीजेपी में शामिल हो गए। ये शशांक भार्गव वहीं हैं जिन्होंने साल 2018 में विदिशा विधानसभा सीट पर बीजेपी को उसी के गढ़ में मात दी थी। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की ओर विदिशा लोकसभा सीट के लिए भी उन्हें ही दावेदार माना जा रहा था लेकिन ऐन वक्त पर उनका बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका है।
गुना लोकसभा सीट
गुना में भी कांग्रेस ने अभी तक किसी उम्मीदवार का ऐलान किया है और इसकी वजह कहीं ना कहीं दिग्विजय सिंह गुट माना जा रहा है। दरअसल कांग्रेस पहले यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को टिकट देना चाहती थीं जबकि उनकी परंपरागच सीट खंडवा है। इस बीच दिग्विजय सिंह गुट ने उनके गुना से चुनाव लड़ने की खबरों पर उन्हें 'बाहरी' करार दे दिया। माना जा रहा है अरुण यादव के गुना से चुनाव लड़ने से दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के भविष्य के लिए परेशानी पैदा हो जाती। यहीं वजह है कि ऐन वक्त पर अरुण यादव को गुना से टिकट देने के प्लान बदल गया और किसी उम्मीदवार का ऐलान नहीं हो पाया। बीजेपी ने इस बार इस सीट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मौका दिया है।
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