भोपाल
मध्यप्रदेश में सरकारी बांध, सड़क, भवनों से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं और निजी उद्योगपतियों, कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण के एक हजार 950 से अधिक मामले उलझे हुए है। अब इन मामलों की मानीटरिंग कर भू अर्जन में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने राज्य भूमि अधिग्रहण बोर्ड गठित किया है। इसकी जिम्मेदारी राज्य भूमि सुधार आयोग को सौपी गई है।
मध्यप्रदेश में जमीनों से हुड़े मामलों पर नीतियां बनाने, जो पुराने नियम है उनमें बदलाव करने के लिए पहले से ही मध्यप्रदेश भूमि सुधार आयोग काम कर रहा है। इसके अध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस जीपी सिंघल है। उनके अलावा एक सदस्य अशोक गुप्ता और एक सलाहकार कार्यरत है। भूमि सुधार आयोग को राज्य सरकार ने राज्य भूमि अधिग्रहण बोर्ड भी घोषित किया है।
इसलिए पड़ी जरुरत
प्रदेश में बड़े बांधों, पुलों, राष्टÑीय और अंतराष्टÑीय संस्थााओं के कार्यालयों की स्थापना, बड़ी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करने और प्रदेश में निवेश के इच्छुक औद्योगिक संस्थानों के लिए भूमि अधिग्रहण में अभी कई प्रकार की दिक्कते आती है। पुर्नवास और व्यवस्थापन की बेहतर योजनाएं न होंने के कारण जमीनों पर काबिज स्थानीय लोग जमीने खाली नहीं करते है। हजारों मामले कोर्ट तक पहुच जाते है। भू अर्जन में देरी के कारण परियोजनाओं की स्थापना में भी देरी होती है और इनकी लागत भी बढ़ जाती है। कई बार तो परियोजनाओं को स्थगित ही करना पड़ता है। इससे प्रदेश के विकास में बाधा उत्पन्न होती है। इसलिए भूमि अधिग्रहण बोर्ड का गठन किया गया है ताकि भू अर्जन की तमाम दिक्कतों , बाधाओं को दूर कर परियोजनाओं को गति प्रदान की जा सके।
यह काम करेगा बोर्ड
मध्यप्रदेश में राज्य भूमि अधिग्रहण बोर्ड भू र्जन परियोजनाओं की मानीटरिंग का काम करेगा। इसके अलावा भू अर्जन के बाद पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन के कार्य की समीक्षा का काम भी यह बोर्ड करेगा। भू अर्जन के संबंध में जो मौजूदा प्रक्रियाएं है उनके सरलीकरण पर भी यह बोर्ड काम करेगा। विषय विशेषज्ञों और संस्थाओं की सेवाएं लेने की जरुरत भी इसके लिए पड़ी तो यह भी बोर्ड करेगा। राज्य भू अर्जन बोर्ड भू अर्जन से जुड़ी नीतियों में किसी प्रकार के बदलाव की जरुरत होगी तो यह भी करेगा और इस पूरी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए राज्य शासन को अपनी अनुशंसाये भी प्रस्तुत करेगा।
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