रायपुर
छत्तीसगढ़ में अनुसूईया उइके को हटाने से कहीं ज्यादा रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाये जाने की चर्चा हो रही है। हालांकि यह संवैधानिक पद है और बदलाव भी एक सतत प्रकिया है। चूंकि बैस छत्तीसगढ़ से जुड़े राजनेता रहे हैं और जब उन्हे त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया गया था तब भी चर्चा हुई कि सक्रिय राजनीति से अब बैस की विदाई हो गई। वे लगातार सात बार लोकसभा सांसद रहे हैं। कई मर्तबे केन्द्रीय मंत्री भी रहे। आडवाणी व सुषमा स्वराज के करीबी रहने के कारण यह भी चर्चा होते रही कि मोदी-शाह उन्हे पसंद नहीं करते। लेकिन छत्तीसगढ़ में पार्टी के लिए पिछड़ा वर्ग का एक बड़ा चेहरा तो थे बैस।
इस बीच उन्हे झारखंड भेज दिया गया,वहां भी वे चर्चा में बने रहे जब हेमंत सोरेन सरकार के झारखंड वित्त विधेयक 2022 को लौटा दिया था। वहीं हेमंत सोरेन के चुनाव से जुड़े मामले में उनके बयान पर काफी विवाद हुआ था।अब उन्हें महाराष्ट्र की कमान सौंपी गई है। राजनीतिक लिहाज से देखें तो काफी अहम राज्य है महाराष्ट्र हैं,अभी हाल के एक महीने में मोदी दो बार मुंबई का दौरा कर लौटे हैं। दरअसल, भाजपा और उद्धव गुट की शिवसेना के बीच में इस बार बीएमसीए चुनाव को लेकर कड़ा मुकाबला है। भाजपा हर हाल में बीएमसीए जीतना चाहती हैं। हालांकि एक सर्वे में भाजपा की स्थिति मुंबई में ठीक नहीं पाई गई थी।
यदि बात छत्तीसगढ़ की करें तो एक चर्चा ये भी हो रही थी कि पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमनसिंह को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है और बैस को फिर से सक्रिय राजनीति में छग लाकर पार्टी का सीएम चेहरा बघेल के मुकाबले आगे किया जा सकता है,लेकिन यह केवल चर्चा में ही रह गया। महाराष्ट्र जैसे राज्य का राज्यपाल बनाया जाना मतलब बैस अब गुड बुक हैं।
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