ओमकारेश्वर
भारतवर्ष के 18 महा शक्तिपीठों में से एक शारदा पीठ मंदिर की प्रतिकृति मध्यप्रदेश के ओमकारेश्वर में बनाई जा रही है। याद दिलाना जरूरी है कि शारदा पीठ पाकिस्तान के कब्जे में है और इसकी मुक्ति के लिए भारत में मांग बढ़ती जा रही है।
शारदा पीठ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में शारदा गांव, नीलम घाटी में किशन गंगा नदी और मुधुमती धारा के संगम पर है। भारत में कुल 51 शक्तिपीठ हैं जिनमें से 18 महाशक्ति पीठ हैं। शारदा पीठ 18 महा शक्तिपीठों में से एक है। यह सरस्वती देवी का मंदिर है। आदि शंकराचार्य भी यहां पर गए थे। कश्मीरी ब्राह्मणों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने शारदा पीठ और इसके आसपास की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।
भारत की आजादी के बाद सरकारों ने शारदा पीठ को वापस पाने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए। कुछ सालों पहले तक तो लोग भूल ही गए थे। एक विदेशी पर्यटक ने जब खंडहर हो चुके शारदा पीठ का फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड किया तब यह एक बार फिर चर्चा में आया। अब भारत के नागरिक इसे भारतीय सीमा में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
कश्मीरी पंडितों की कुल देवी हैं मां शारदा, उनका तीर्थस्थल है शारदा पीठ
'नमस्ते शारदा देवी कश्मीर पुर वासिनी त्वम अहम् प्रथये नित्यं विद्याधनं चे दे ही माही।'
इसका अर्थ है- 'आपको प्रणाम, शारदा देवी, कश्मीर की निवासी, मैं आपकी हमेशा प्रशंसा करता हूं, मुझे ज्ञान का धन दो।' ये प्रार्थना कश्मीरी पंडितों की मां शारदा की रोज की पूजा का हिस्सा है। शारदा देवी कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी हैं और शारदा पीठ कश्मीरी पंडितों के लिए एक तीर्थस्थल है। शारदा पीठ को 18 अष्टादश महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले का है शारदा पीठ
यह पीठ नीलम, मधुमती और सरगुन नदी की धाराओं के संगम के पास हरमुख पहाड़ी पर करीब 6500 फीट की ऊंचाई पर है, जो PoK के मुजफ्फराबाद से 140 किलोमीटर और कश्मीर के कुपवाड़ा से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले शारदा पीठ, मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ गुफा के साथ जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल था।
इतिहास: कश्मीर के ताकतवर हिंदू राजा ने बनवाया था शारदा पीठ मंदिर
मंदिर के निर्माण की सटीक तारीख पता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि शारदा मंदिर हजारों साल पुराना है।
- कुछ इतिहासकारों की मानें तो शारदा पीठ का निर्माण 5 हजार साल पहले हुआ था। वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इसका निर्माण 273 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के समय में हुआ था।
- एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पहली सदी में कुषाण वंश के शासन के दौरान हुआ था। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, शारदा क्षेत्र में बौद्धों का काफी प्रभाव था। हालांकि रिसर्चर्स इस दावे के समर्थन में सबूत नहीं तलाश पाए हैं।
- शारदा मंदिर पर केस स्टडी करने वाले फैज उर रहमान का कहना है कि शिक्षाविदों का मानना है कि शारदा पीठ का निर्माण कश्मीर पर शासन करने वाले कर्कोटा राजवंश के ताकतवर हिंदू शासक ललितादित्य मुक्तपीड ने कराया था। ।
- ललितादित्य ने कश्मीर पर 724 ईस्वी से 760 ईस्वी तक शासन किया था। इस दावे को इसलिए भी सही माना जाता है कि क्योंकि राजा ललितादित्य बड़े-बड़े मंदिरों के निर्माण में माहिर थे।
- शारदा पीठ मंदिर आर्किटेक्चर, डिजाइन और कंस्ट्रक्शन स्टाइल में अनंतनाग स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर से काफी मिलता-जुलता है। मार्तंड मंदिर का निर्माण भी ललितादित्य ने ही कराया था।
- इसका सबसे पुराना लिखित जिक्र छठी से आठवीं सदी के दौरान नीलमत पुराण में मिलता है। नीलमत पुराण, कश्मीर के इतिहास के बारे में सबसे प्राचीन पुस्तक है।
- 11वीं सदी में कश्मीरी कवि बिल्हण ने शारदा पीठ के अध्यात्म और शिक्षा की अहमियत के बारे में लिखा था।
- 11वीं सदी में भारत आने वाले फारसी विद्धान अल-बरूनी ने मुल्तान सूर्य मंदिर, स्थानेश्वर महादेव मंदिर और सोमनाथ मंदिर के साथ ही शारदा पीठ का जिक्र भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे चर्चित मंदिरों के रूप में किया था।
- 12वीं सदी में प्रसिद्ध कश्मीरी कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी में शारदा पीठ का जिक्र एक प्रमुख पूजा स्थल के रूप में किया गया था।
- 16वीं सदी में अकबर के नवरत्नों में शामिल रहे अबुल फजल ने शारदा पीठ को पत्थरों का मंदिर और महान पूजा स्थल बताया था। फजल के अनुसार, ''शुक्ल पक्ष की हर आठवीं तिथि को मंदिर हिलने लगता है और सबसे ज्यादा असाधारण प्रभाव पैदा करता है।''
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