नई दिल्ली
सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट में विनिवेश से 50 हजार करोड़ रुपये मिलने का लक्ष्य रखा है। यह चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लक्ष्य 51 हजार करोड़ रुपये से मामूली कम है। इसके साथ ही सरकार ने चालू वित्त वर्ष के विनिवेश लक्ष्य को 51 हजार करोड़ रुपये से घटाकर 30 हजार करोड़ रुपये कर दिया है। लोकसभा में पेश किए गए अंतरिम बजट के अनुसार, सरकार को चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक संपत्तियों के मौद्रीकरण से कोई पैसा मिलने की उम्मीद नहीं है। 2023-24 के बजट में सरकार ने ऐसी संपत्तियों के मौद्रीकरण से 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश की बात करें तो सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की सात कंपनियों की आंशिक हिस्सेदारी बेचने से अब तक 12,504 करोड़ रुपये मिले हैं।
क्या है विनिवेश के लक्ष्य
इनमें कोल इंडिया, एनएचपीसी, आरवीएनएल और इरेडा शामिल है। वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 को छोड़कर सरकार अधिकांश वर्षों में बजट में निर्धारित विनिवेश लक्ष्यों से चूक रही है। वित्त वर्ष 2017-18 में एक लाख करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य के सापेक्ष सरकार को विनिवेश से 1,00,056 करोड़ रुपये मिले थे। इसी तरह, वित्त वर्ष 2018-19 में 80 हजार करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य के सापेक्ष विनिवेश से 84,972 करोड़ रुपये मिले थे।
आरबीआई, पीएसबी से 1.02 लाख करोड़ के लाभांश का अनुमानसरकार ने अगले वित्त वर्ष में आरबीआई, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) और अन्य वित्तीय संस्थानों से लाभांश के रूप में 1.02 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष में सरकार को 48 हजार करोड़ के बजट लक्ष्य के सापेक्ष आरबीआई-पीएसबी से 1.04 लाख करोड़ का लाभांश मिलने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने मई 2023 में सरकार को लाभांश के रूप में 87,416 करोड़ रुपये दिए थे, जो बजट अनुमान से ज्यादा हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सरकार को आरबीआई और पीएसबी से लाभांश के रूप में 39,961 करोड़ रुपये मिले थे। सरकार को चालू वित्त वर्ष में आरबीआई, पीएसबी और अन्य कंपनियों से 1,54,407 करोड़ रुपये का लाभांश मिलने की उम्मीद है। इसी तरह, अगले वित्त वर्ष 1.50 लाख करोड़ का लाभांश मिलने का अनुमान जताया गया है।
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