इंदौर
इंदौर की कुटुम्ब अदालत ने एक आदेश में कहा है कि पत्नी द्वारा अपने पति पर बिना किसी आधार के चारित्रिक लांछन लगाना क्रूरता है। अदालत ने शहर की 38 वर्षीय महिला की गुजारा भत्ते की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
याचिका में महिला ने मुख्य तौर पर यह आरोप लगाया था कि उसके 42 वर्षीय पति के एक अन्य महिला से अवैध संबंधों को लेकर आपत्ति जताए जाने के बाद उसे प्रताड़ित करके घर से बाहर निकाल दिया गया है।
कुटुम्ब अदालत के प्रधान न्यायाधीश एन.पी. सिंह ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सात मार्च को यह अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने अपने आदेश में कहा,''(पत्नी द्वारा) बिना किसी आधार के पति पर चारित्रिक दोष लगाना क्रूरता है।''
कुटुम्ब अदालत में याचिका दायर करने वाली महिला अपने पति से करीब ढाई साल से अलग रह रही है। उसने इस अर्जी के जरिये अदालत से गुहार की थी कि उसे उसके पति से हर महीने 20,000 रुपये का गुजारा भत्ता दिलाया जाए।
कुटुम्ब अदालत ने कहा कि वह इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि महिला ने बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति को छोड़ दिया है और वह किसी तरह की भरण-पोषण राशि पाने की हकदार नहीं है।
अदालत ने कहा, ''यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस दम्पति की अवयस्क संतानें प्रतिवादी (पति) के पास हैं और वही उनका भरण-पोषण कर रहा है।''
महिला ने दो लाख रुपये के दहेज के लिए प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते हुए अपने पति और सास-ससुर के खिलाफ एक स्थानीय पुलिस थाने में वर्ष 2021 के दौरान प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी।
कुटुम्ब अदालत ने रेखांकित किया कि महिला ने इस प्राथमिकी में संबंधित महिला से अपने पति के कथित अवैध संबंधों को लेकर किसी विवाद का कोई उल्लेख नहीं किया।
उधर, महिला के पति की ओर से कुटुम्ब अदालत में कहा गया कि उसकी पत्नी जान-बूझकर उसके साथ नहीं रहना चाहती और उस पर उसके माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती है।
महिला का पति इंदौर नगर निगम का कर्मचारी है। इस व्यक्ति ने अदालत में कहा कि उसकी पत्नी सिलाई-कढ़ाई करके हर महीने 20,000 रुपये से 25,000 रुपये कमा रही है और खुद का भरण-पोषण कर सकती है।
बचाव पक्ष की वकील प्रीति मेहना ने बताया कि महिला का उनके मुवक्किल से वर्ष 2007 में विवाह हुआ था और इस दम्पति का 13 वर्षीय बेटा और नौ वर्षीय बेटी हैं।
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