भोपाल।
अगले कुछ सालों में आप घर बैठे मंदिरों का ऐसा वर्चुअल टूर कर सकेंगे जिसमें आपको ऐसा महसूस होगा जैसे आप मंदिर में ही हैं। इसकी शुरुआत विदिशा जिले के ग्यारसपुर में गुप्तोत्तर वास्तुकला के मालादेवी मंदिर से हो सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद और एआरवीआर टेक्नालॉजी से इस मंदिर के वर्चुअल टूर कराने के प्रोजेक्ट पर जल्द ही काम शुरू होगा।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने साइंस एंड हैरिटेज रिसर्च इनिशिएटिव (SHREE, श्री) प्रोजेक्ट के तहत वीआईटी भोपाल की डीन आर्किटेक्चर डॉ. शीतल शर्मा, डीएवीवी के डॉ. शिशिर कुमार शांडिल्य और आईआईटी इंदौर के डॉ. सूर्यप्रकाश के मालादेवी मंदिर वर्चुअल टूर प्रोजेक्ट को मंजूर कर लिया है। इस पर विभाग अगले दो साल में 43.28 लाख रुपए का अनुदान देगा। मप्र में श्री के तहत किसी भी यूनिवर्सिटी को यह अब तक का सबसे अधिक अनुदान है।मेटावर्स टेक्नालॉजी का उपयोग
इस प्रोजेक्ट में मेटावर्स टेक्नालॉजी का उपयोग होगा। मेटावर्स ब्लॉकचेन पर बना हुआ एक ऐसा कम्प्यूटिंग प्लेटफार्म है जो आभासी दुनिया के विकल्प के रूप में काम करता है।
यह भी बताएंगे कि ऐसे मंदिर और कहां
इस प्रोजेक्ट में यह भी बताया जाएगा कि मालादेवी मंदिर जैसे मंदिर और दूसरे स्मारक दुनिया में और कहां- कहां हैं? और आप इस मंदिर के निर्माण की पूरी प्रक्रिया को भी देख सकेंगे। मालादेवी मंदिर की खासियत
9 वीं शताब्दी का यह मंदिर पहाड़ी ढलान पर बना हुआ है। मालादेवी मंदिर को पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है क्योंकि आप सड़क मार्ग से पहाड़ी पर चढ़ते हैं। हालाँकि, जब आप पैदल नीचे उतरना शुरू करते हैं, तो मंदिर चट्टानों के पीछे से उभरता है और पीछे की ओर फैले विशाल परिदृश्य में मीलों-मील तक फैले हरे-भरे खेत, पेड़ों के झुरमुट और पहाड़ियाँ नज़र आती हैं। शुरुआती पुरातात्विक उत्खनन से पता चला कि यह एक बौद्ध मंदिर था। करीब से देखने पर, मंदिर के भीतर आलों में बैठी कुछ मूर्तियाँ जैन तीर्थंकरों कीपाई गईं। तब यह माना गया कि यह मंदिर आदिनाथ को समर्पित था क्योंकि मंदिर के गर्भगृह में पद्मासन में जैन तीर्थंकरों की चार बड़ी मूर्तियाँ पाई गईं। हालांकि, मंदिर का सबसे सटीक प्रतीक लालाता बिंबा पर गरुड़ पर बैठी वैष्णव देवी की नक्काशी है, जो बिना किसी संदेह के यह स्थापित करती है कि मूल संरचना एक देवी मंदिर थी।एआर वीआर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके किसी भी युग के लोगों, स्मारकों, संस्कृति, आजीविका, पर्यावरण के मेटावर्स संस्करण के साथ वास्तविक विश्व विरासत की तरह डिजिटल प्रतिकृति का अनुभव करें।
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