महाराष्ट्र
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता राज ठाकरे ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि भाजपा मनसे के साथ गठबंधन की इच्छुक है। भदवा दल महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव से पहले अपने गठबंधन को और ज्यादा मजबूत करना चाहता है। ठाकरे नई दिल्ली पहुंचे और जब वह शाह से मिले तब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे भी मौजूद थे। अगर गठबंधन हो जाता है तो MNS को मुंबई में 1 सीट दी जा सकती है, जहां उनके चचेरे भाई उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाले शिवसेना के गुट का कुछ प्रभाव है।
अगर एनडीए का हिस्सा MNS बनी और मनसे नेता ने मुंबई से चुनाव लड़ा तो यह उद्धव के लिए दोहरे झटके से कम नहीं होगा। मालूम हो कि जब शिवसेना एकजुट थी तब राज ठाकरे ने इससे नाता तोड़ लिया था। बाद में शिवसेना की अगुवाई उद्धव ठाकरे ने की। राज ठाकरे के अच्छा वक्ता होने के बावजूद उनकी मनसे खासा प्रभाव नहीं डाल सकी। राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों को लेकर अतीत में कई विवादित बयान दिए थे। इसे लेकर भाजपा समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी और मनसे के बीच गठबंधन हुआ तो सवाल भी उठेंगे। खास तौर से उद्धव गुट की शिवसेना और कांग्रेस के नेता इसे लेकर काफी हमलावर हो सकते हैं।
मुंबई में मनसे का रहा बड़ा असर
मालूम हो कि राज ठाकरे ने शिवसेना से बाहर निकलने के बाद 2006 में मनसे की स्थापना की। बताया गया कि बाल ठाकरे की ओर से अपने बेटे उद्धव ठाकरे को बढ़ावा देने के चलते ऐसा हुआ। 2009 में मनसे ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। एमएनएस ने कुल 288 सीटों में से 13 सीटें जीतीं, जिनमें से ज्यादातर मुंबई में थीं। मनसे की जीत के पीछे मराठी वोटों का विभाजन मुख्य कारण रहा, जिसने उस साल मुंबई में लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना का खेल बिगाड़ दिया था। हालांकि, इसके बाद गुजरते समय के साथ MNS कमजोर पड़ती गई और राजनीतिक हाशिये पर नजर आई।
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