हार्वर्ड हेल्थ ब्लॉग पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गंभीर रोगों के लिए अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में हॉस्पिटल में निमोनिया होने की आशंका कम हो जाती है, अगर वे दिन में दो बार ब्रश करते हैं. अध्ययन में यह भी पाया गया कि दो बार ब्रश करने वाले मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत भी कम समय के लिए होती है और वे दो बार ब्रश नहीं करने वालों की तुलना में आईसीयू से जल्दी बाहर आ जाते हैं.
अध्ययन के प्रमुख लेखक, हार्वर्ड स्कूल ऑफ डेंटल मेडिसिन में ओरल हेल्थ पॉलिसी विभाग से जुड़े डॉ टाइन जियांग ने कहा कि सही ढंग से ब्रश करना उन बैक्टीरिया को हटा देता है, जो आगे चलकर बड़ी समस्या पैदा कर सकते हैं. दांतों पर जमा होने वाला प्लाक इतनी मजबूती से चिपकता है, जिसे केवल पानी से कुल्ला करके नहीं हटाया जा सकता। उसके लिए ब्रश करना जरूरी हो जाता है.
अध्ययन में 2800 के करीब मरीजों को शामिल किया गया था, जिन्हें गंभीर रोगों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मरीजों को दो समूहों में बांटा गया था. एक समूह को दिन में दो बार ब्रश करने के लिए कहा गया, जबकि दूसरे समूह को दिन में एक बार या उससे कम ब्रश करने के लिए कहा गया. अध्ययन में पाया गया कि दिन में दो बार ब्रश करने वाले मरीजों में हॉस्पिटल में निमोनिया होने की आशंका 33% कम थी. उन्हें वेंटिलेटर की भी औसतन 2 दिन कम आवश्यकता थी और वे आईसीयू में 1 दिन कम समय तक रहे.
डॉ जियांग ने कहा कि यह अध्ययन दर्शाता है कि ओरल हेल्थ का गंभीर बीमारियों वाले मरीजों के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. दिन में दो बार ब्रश करना एक सरल और प्रभावी तरीका है, जिससे हॉस्पिटल में निमोनिया और अन्य संक्रमणों के खतरे को कम किया जा सकता है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन मरीजों को पहले से ही डायबिटीज या दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियां थीं, उनमें दिन में दो बार ब्रश करने से हॉस्पिटल में निमोनिया होने की आशंका सबसे ज्यादा कम थी.
डॉ जियांग ने कहा कि यह अध्ययन उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिन्हें पहले से ही गंभीर बीमारियां हैं. इन लोगों में संक्रमण का खतरा अधिक होता है और उनका स्वास्थ्य बिगड़ने की संभावना भी अधिक होती है.
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