नई दिल्ली
लोन फ्रॉड मामले में ICICI बैंक की पूर्व एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि यह गिरफ्तारी बिना दिमाग लगाए और कानून का उचित सम्मान किए बिना की गई है। यह शक्ति का दुरुपयोग है। अदालत ने कहा कि सीबीआई उन परिस्थितियों को दिखाने में असमर्थ रही है जिनके आधार पर गिरफ्तारी का निर्णय लिया गया था। इसमें कहा गया है कि ऐसी परिस्थितियों का अभाव गिरफ्तारी को अवैध बना देता है।
क्या कहा अदालत ने
अदालत ने जांच एजेंसी की इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि गिरफ्तारी इसलिए की गई क्योंकि कोचर जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। अदालत ने ये भी कहा कि आरोपियों को पूछताछ के दौरान चुप रहने का अधिकार है। अदालत के आदेश में कहा गया है- चुप रहने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20(3) से निकलता है, जो आरोपी को आत्म-दोषारोपण के खिलाफ अधिकार देता है। बता दें कि न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ ने 6 फरवरी को कोचर दंपति की गिरफ्तारी को अवैध ठहराया था। वीडियोकॉन-ICICI बैंक लोन मामले में सीबीआई ने 23 दिसंबर, 2022 को दंपति को गिरफ्तार किया था। उन्होंने तुरंत गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया और इसे अवैध घोषित करने की मांग की। इसके साथ ही अंतरिम आदेश के माध्यम से जमानत पर रिहा करने की मांग की।
क्या है आरोप
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि निजी क्षेत्र के ऋणदाता आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए वेणुगोपाल धूत प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये का लोन मंजूर किया था।
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