भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की काउंटिंग के बाद सरकार किसी भी पार्टी की बने, आठ कलेक्टर और चार एसपी के खिलाफ एक्शन हो सकता है। इनकी शिकायत चुनाव आयोग से की गई है। कांग्रेस ने तो ऐसे अफसरों की लिस्ट भी बना ली है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 3 दिसंबर को आएगा. इसके लिए जितनी उत्सुकता राजनीतिक दल, प्रत्याशी और समर्थकों में है उतनी ही फिक्र प्रशासनिक अफसरों में भी देखी जा रही है. इसकी वजह है कि चुनाव के दौरान दोनों ही प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस द्वारा चुनाव प्रभावित करने को लेकर एक दर्जन से ज्यादा अफसरों की शिकायतें चुनाव आयोग से की गई हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार के गठन के साथ सबसे पहला काम प्रशासनिक सर्जरी का ही होगा.
बता दें कि मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान हुआ था. वोटिंग का परिणाम 3 दिसंबर को आएगा. आज से 11 दिन बाद प्रदेश की सत्ता किसे मिलेगी इसका फैसला हो जाएगा. फिलहाल, राजनीतिक दल और प्रत्याशियों को परिणाम का बेसब्री से इंतजार है. इधर चुनाव परिणामों को लेकर प्रदेश के कई अफसर भी चिंतित हैं, क्योंकि चुनाव के दौरान कई अफसरों की शिकायतें चुनाव आयोग से की गई है. ऐसे में जिन अफसरों की शिकायत हुई हैं, उन्हें चिंता है कि सरकार के गठन के बाद सबसे पहले प्रशासनिक सर्जरी होगी. अगर परिणाम उनके मन मुताबिक नहीं आए तो सबसे पहले उन पर ही गाज गिरेगी.
इन अफसरों की हुई है शिकायत
दरअसल, चुनाव के दौरान बीजेपी-कांग्रेस द्वारा कई अफसरों की शिकायतें की गई, इनमें बीजेपी ने नगर निगम आयुक्त भोपाल, भिंड कलेक्टर और छतरपुर एसपी की शिकायत की थी. इधर कांग्रेस ने भी कई अफसर कर्मचारियों की शिकायत की थी, जिनमें कांग्रेस ने दतिया और भिंड कलेक्टर-एसपी दोनों की शिकायत की थी. साथ ही ग्वालियर, सीधी और सतना कलेक्टर की शिकायत की गई थी, जबकि बीजेपी की तरफ से कुछ आरओ के रूप में तैनात तहसीलदारों की भी शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी.
इन प्रत्याशियों पर एफआईआर
आचार संहिता उल्लंघन के मामले में करीब एक दर्जन से अधिक प्रत्याशियों पर एफआईआर दर्ज करने को लेकर शिकायतें की गई हैं. इनमें बीजेपी के गोविंद सिंह राजपूत, लालसिंह आर्य, नरेन्द्र सिंह कुशवाह और कांग्रेस के अर्जुन सिंह काकोड़िया, बीएसपी के कुलदीप सिकरवार, डीडी अग्रवाल और संजीव कुशवाह, इधर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले इछावर की विधानसभा से भी कांग्रेस प्रत्याशी शैलेन्द्र पटेल द्वारा इछावर नगर पंचायत के प्रभारी सीएमओ को हटाने को लेकर शिकायत की थी, लेकिन उनकी शिकायत बेअसर साबित हुई थी.
दिमनी से कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र सिंह तोमर ने मुरैना कलेक्टर और एसपी पर बीजेपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता का आरोप है कि दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने दिमनी विधानसभा चुनाव में 'पक्षपात' किया और जानबूझकर एक महत्वपूर्ण मतदान केंद्र पर सुरक्षा के इंतजाम अच्छे से नहीं किए।
रवींद्र तोमर ने राज्य चुनाव आयुक्त और भारत चुनाव आयोग से औपचारिक शिकायत दर्ज कराते हुए 97 बूथों पर पुनर्मतदान की मांग की है। उनका आरोप है कि जिला प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई से दिमनी चुनाव प्रभावित हुआ है।
मीडिया को संबोधित करते हुए, रवींद्र ने केंद्रीय मंत्री तोमर पर जिला और पुलिस प्रशासन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया, जिसके कारण मतदाताओं को उनके अधिकारों से वंचित होना पड़ा। उन्होंने विशेष रूप से एसपी पर उंगलियां उठाईं और उन पर चुनाव के दौरान भाजपा एजेंट के रूप में काम करने का आरोप लगाया। यह दावा राज्य कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ ने भी दोहराया।
रवींद्र तोमर ने इसके लिए उदाहरण भी दिए। इससे कलेक्टर की मिलीभगत का खुलासा हुआ। जिसमें एक मामला भी शामिल है, जहां उन्होंने अस्थाना से ट्रांसफर किए जाने वाले अपराधियों के नामों की एक सूची का समर्थन करने का अनुरोध किया था। समस्या तब पैदा हुईं, जब थाना प्रभारी ने कलेक्टर को सूची भेजने का दावा किया, जबकि कलेक्टर के उस पर हस्ताक्षर करने के दावे का खंडन किया। कांग्रेस उम्मीदवार ने कलेक्टर पर अयोग्य व्यक्तियों को जानबूझकर संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
सुरक्षा तैनाती में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए, रवींद्र तोमर ने कहा कि उन्होंने कलेक्टर को दिमनी में 'अति संवेदनशील मतदान केंद्रों' की एक सूची दी थी, लेकिन पाया कि 'वास्तव में संवेदनशील बूथों' पर केवल एक कांस्टेबल को नियुक्त किया गया था और जो बूथ संवेदनशील नहीं थे, उन बूथों पर पांच कांस्टेबल तैनात किए गए थे। उन्होंने कुछ इलाकों में बीएसएफ की तैनाती पर भी चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और पर्यवेक्षक के पास शिकायत दर्ज कराने और चुनाव के दिन लगभग 20 से 25 आपत्तियां उठाने के बावजूद, जिला प्रशासन और पुलिस ने उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया।
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