उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान भी सफल होगा
4 ज़िलों में 1 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग 37 लाख बच्चों का होगा टीकाकरण
जानलेवा इन्सेफेलाइटिस से मिलेगी मुक्ति
भोपाल
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी कार्य हुए हैं। जिसका समूचे विश्व ने लोहा माना है। कोरोना काल में टीकाकरण का वैश्विक कीर्तिमान स्थापित किया गया, साथ ही दूसरे देशों को भी वैक्सीन की आपूर्ति की गयी। यह सब दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति और जनता के सहयोग से संभव हुआ। हम सब जागरूक एवं एकजुट होकर किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि निश्चित रूप से जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान भी सफल होगा। हम इस घातक बीमारी से अपने बच्चों को सुरक्षित करने में सफल होंगे। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने अभियान की सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को शुभकामनाएँ दीं और निर्देश दिये कि प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाये।
4 ज़िलों में 1 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग 37 लाख बच्चों का होगा टीकाकरण
उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने डीईआईसी (डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) भोपाल से प्रदेश में जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान का शुभारंभ किया। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने उपस्थित जन को जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस (दिमाग़ी बुख़ार) के प्रति जागरूकता लाने और टीकाकरण अभियान में सहयोग करने का संकल्प दिलाया। उप मुख्यमंत्री ने टीकाकरण अभियान के पोस्टर का विमोचन किया और टीकाकृत बालकों को प्रमाण-पत्र प्रदान किये। अभियान में भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर और सागर ज़िलों के 1 वर्ष से 15 वर्ष की उम्र के लगभग 37 लाख बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। विगत वर्ष विदिशा एवं रायसेन ज़िलों में टीकाकरण किया गया था। शासकीय और चिन्हित निजी चिकित्सकीय संस्थानों में जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस का निःशुल्क टीकाकरण किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने डीईआईसी, भोपाल का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की सराहना की।
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है ये बीमारी
जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस वेक्टर बोर्न डिजीज है। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर रुके हुए पानी में रहते हैं, और रात के समय काटते हैं । आर्डिडाई प्रजाति के विचरण करने वाले पक्षी और सुअर इस बीमारी के फ्लेवी वायरस के मुख्य संवाहक होते हैं। जापानी इन्सेफेलाइटिस बीमारी को पहली बार जापान में देखा गया था, इसलिए इस बीमारी का नाम जापानी इन्सेफेलाइटिस पड़ा।
गंभीर और घातक है जापानी इन्सेफेलाइटिस
जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस घातक बीमारी है। संक्रमण के बाद विषाणु व्यक्ति के मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी सहित केंद्रीय नाड़ी तंत्र में प्रवेश कर जाता है। इस बीमारी के अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। गंभीर मामलों में सिर दर्द व ब्रेन टिशूज की सूजन या इन्सेफेलाइटिस की समस्या हो सकती है । अन्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द , कपकपी, उल्टी, तेज बुखार, गर्दन में अकड़न हो सकती है। पीड़ित व्यक्ति को झटके भी आ सकते हैं। उपचार नहीं करवाने पर मृत्यु भी हो सकती है।
1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को खतरा अधिक
जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस बीमारी का खतरा 1 से 15 साल की उम्र के बच्चों को अधिक होता है। इस बीमारी से संक्रमित 80% से अधिक लोग इसी आयु वर्ग के होते हैं। इसीलिए प्राथमिकता के आधार पर 1 से 15 साल के बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं। टीके से ही इस बीमारी से बचाव संभव है। उल्लेखनीय है कि भोपाल जिले में पिछले 8 सालों में जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस के 23 प्रकरण सामने आए हैं। यह सभी लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
सुरक्षित और प्रभावी है जे. ई. का टीका
जापनीज़ इन्सेफेलाइटिस से बचाव के लिए टीका लगाया जाना जरूरी है । यह टीका पूरी तरह से सुरक्षित और कारगर है। शासन द्वारा यह टीका निःशुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस वैक्सीन का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। मिशन संचालक एनएचएम श्रीमती प्रियंका दास सहित स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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