भोपाल
आजादी के 75 वर्ष होने पूर्ण होने पर मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव में भारत सरकार चाहती है कि प्रदेश के हर पुलिस अफसर और जवान के सीने पर एक पदक और लगाया जाए। इस पदक को दिए जाने के पीछे सरकार की मंशा यह है कि पुलिस के हर अफसर और जवान को यह अनुभूति होती रहे कि देश की आजादी को बरकरार रखने के लिए उन्होंने भी अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ अपना फर्ज निभाया है। इसलिए इन सभी को स्मरणीय मेडल दिए जाना है, लेकिन फिलहाल इसमें पेंच फंस गया है।
पुलिस मुख्यालय को केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के एक आदेश के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव के लिए मेडल बनवाने में पसीना आ रहा है। मेडल प्रदेश पुलिस के पूरे फोर्स को दिया जाना है, लेकिन जो रेट आया है, उस दर पर पुलिस मुख्यालय को मेडल बनवाने के लिए पिछले कई दिनों से खासी मशक्कत करना पड़ रही है। नतीजे में अब तक मेडल किससे बनवाया जाए यह तय नहीं हो पा रहा है।
सूत्रों की मानी जाए तो आजादी की 75 वी वर्षगांठ पर प्रदेश पुलिस के मुखिया से लेकर एक-एक जवान तक को यह मेडल दिया जाना है। इस संबंध में कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय से एक आदेश आया। इस आदेश में केंद्र ने यह बताया है कि सभी को आजादी के अमृत महोत्सव का लोगो लगा हुआ मेडल दिया जाना है। इस मेडल को 96 रुपए में बनाया जाना है। उसके अनुसार ही केंद्र इस पर अपना बजट देगा।
एक लाख फोर्स को देना है मेडल
प्रदेश पुलिस में डीजीपी से लेकर आरक्षक तक की संख्या लगभग एक लाख के आसपास है। इसके लिए करीब 96 लाख रुपए केंद्र से मेडल के लिए मिल सकेंगे। जबकि मेडल बनाने वाली कोई भी एजेंसी इतने में बनाने का तैयार नहीं है। ऐसे में अब पुलिस मुख्यालय दूसरे राज्यों की मदद ले सकता है। जिस राज्य में इतने रेट में यह मेडल बनाया जाएगा उस राज्य से संपर्क किया जा सकता है।
कई प्रयास लेकिन सफल नहीं हुए
केंद्र के इस आदेश के बाद पुलिस मुख्यालय ने मेडल बनवाने के लिए प्रयास शुरू किए। जिसमें पता चला कि एक मेडल 96 रुपए की जगह पर इससे बहुत ज्यादा रेट पर बनाया जा रहा है। ऐसे में अब पुलिस मुख्यालय को यह समझ नहीं आ रहा है 96 रुपए में मेडल को कैसे बनवाया जाए।
मेडल के बारे में
ये मेडल सशस्त्र बलों- सेना, वायु सेना और नौसेना के सभी सेवारत कर्मियों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के साथ-साथ राज्य पुलिस इकाइयों को प्रदान किए जाने हैं। वृत्ताकार मेडल में आगे की ओर अशोक के सिंह, पीछे की ओर अशोक चक्र अंकित होगा। यह राष्ट्रीय ध्वज के रंगों के साथ नीले रंग के रिबन में गुथा होगा। इस पदक पर 1947-2022 के साथ स्वतंत्रता की पंचसप्तति जयंती लिखी रहेगी।
50 वीं वर्षगांठ पर ऐसा था मेडल
1997 में स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर जो स्मरणीय मेडल दिए गए थे उसमें लाल किला की तस्वीर अंकित थी। मेडल के पीछे भारत का मानचित्र था। यह मेडल भी सेना, नौसेना और वायु सेना, टेरीटोरियल सेना, अन्य रिजर्व बलों, रेलवे पुलिस बल, अर्धसैनिक बलों के साथ ही राज्य पुलिस इकाइयों को दिया गया था।
More Stories
बहुप्रतीक्षित इंदौर-मनमाड़ नई रेल लाइन परियोजना में अब जमीनी स्तर पर काम शुरू
उत्तर की ओर से आ रही सर्द हवाओं के असर से प्रदेश में सिहरन बढ़ी, उमरिया-मंडला में भी पारा 10 डिग्री से नीचे
प्रधानमंत्री मोदी को दो राष्ट्रों से मिले सर्वोच्च सम्मान के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दी बधाई