सर्विकल कैंसर भारत में महिलाओं का दूसरा सबसे आम कैंसर है, जो काफ़ी लंबा प्रभाव छोड़ता है। ग्लोबोकैन के मुताबिक़ 2020 में भारत में 123,907 सर्विकल कैंसर मामलों की पहचान हुई, और इसकी वजह से 77,348 मौतें हुईं। इन चौंकाने वाले आँकड़ों से इस ओर सक्रिय कार्रवाई की ज़रूरत प्रदर्शित होती है।
इसकी रोकथाम किस चरण में की जा सकती है, यह समझना भी महत्वपूर्ण है। ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) का टीका इस रोग के ख़िलाफ शक्तिशाली सुरक्षा प्रदान करता है। जयपुर के मणिपाल अस्पताल के सलाहकार – मेडिकल ऑन्कोलॉजी,
सर्विकल कैंसर और एचपीवी:
सर्विकल कैंसर गर्भाशय के निचले हिस्से, सर्विक्स में कैंसर कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है। इसका मुख्य कारण यौन संक्रमण का वायरस, एचपीवी है। अधिकांश एचपीवी संक्रमण अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन इसके कुछ स्ट्रेन ज़्यादा रिस्क वाले होते हैं I
समय पर निदान:
इसकी समय पर पहचान करना महत्वपूर्ण है। स्त्री रोग के परीक्षण पैप स्मीयर जांच की मदद से कैंसर से पहले होने वाले परिवर्तनों की पहचान की जा सकती है, ताकि इसका समय पर इलाज कराया जा सके।
रोकथाम: एचपीवी का टीका
एचपीवी टीका लगवाने का समय 9 से 14 वर्ष के बीच है, जो वायरस के संपर्क से पहले का समय होता है। भारत में अपेक्षाकृत युवा आबादी के कारण यहाँ इस टीके को लगाने की विशाल संभावनाएं हैं। अध्ययनों में सामने आया है कि टीका सर्विकल कैंसर को रोकने में 97% प्रभावशाली होता है।
टीके से सर्विकल कैंसर के ख़िलाफ मजबूत सुरक्षा तो मिलती है, पर पूरी तरह से बचाव नहीं हो पाता। टीका लगाने के बाद खासकर 25 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं की निगरानी के लिए उनका पैप परीक्षण भी महत्वपूर्ण है। पैप परीक्षण द्वारा समय पर पहचान करके और सर्जरी एवं इलाज की मदद से इसे रोकने में काफ़ी प्रभावशाली परिणाम मिल सकते हैं। भारत में मौजूदा राष्ट्रीय टीकाकरण मिशन कार्यक्रम का लक्ष्य 9-14 वर्ष की किशोरियों को एचपीवी टीका लगाना है, जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पैप परीक्षण आसानी से उपलब्ध होकर व्यापक टीकाकरण द्वारा देश में सर्विकल कैंसर के मामलों और मौतों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
युवतियों को सही उम्र में एचपीवी का टीका लगाकर, नियमित रूप से उनका पैप परीक्षण और इलाज करके इस बीमारी की रोकथाम संभव है।
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