वाराणसी
एएसआई की स्टडी रिपोर्ट ने मंदिर पक्ष के लोगों के अंदर एक नए जोश का संचार कर दिया है। सर्वे रिपोर्ट ने उनकी मान्यताओं पर एक वैज्ञानिक पुष्टि की मोहर लगा दी। स्टडी रिपोर्ट बाहर आते ही अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्र आनंद ने ज्ञानवापी के मुक्त होने तक अन्न का त्याग कर दिया है। इस बात का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक ज्ञानवापी मुक्त नहीं हो जाती, तब तक वह अन्न का ग्रहण नहीं करेंगे। यह उनका तप है, उनके जैसे हजारों संत और आस्थावान लोग हैं जो ज्ञानवापी मुक्ति के लिए यज्ञ कर रहे है। ऐसे में उनका ये एक छोटा सा प्रयास है।
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जिटेन्द्रानंद ने शनिवार को बयान जारी करते हुए कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर को जब तक राम मंदिर की तर्ज पर मुक्त नहीं कर लिया जाएगा, तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि वह एक दंडी स्वामी है और यह उनका व्यक्तिगत फैसला है। समाज में हजारों लाखों संत, ऋषि और आम लोग ज्ञानवापी मुक्ति के लिए अलग अलग तरीके से अपना योगदान दे रहे हैं। ऐसे में इस यज्ञ में उनका यह संकप ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन के यज्ञ में बहुत छोटी आहुति है। जब तक ज्ञानवापी की मुक्ति नहीं हो जाएगी मैं महज दूध और फल का ही सेवन करूंगा।
'मुस्लिम पक्ष अब हिंदुओं को सौंपे ज्ञानवापी'
स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि एएसआई के स्टडी रिपोर्ट में पूरा सच सामने आ गया। हालांकि यह सच मंदिर पक्ष के साथ पूरा देश पहले से ही जान रहा हैं। लेकिन एएसआई की रिपोर्ट ने उस पर अपनी वैज्ञानिक मोहर लगा दी है। ऐसे में मैं एक बार फिर से अपील करना चाहूंगा कि मुस्लिम पक्ष को वह पूरा परिसर हिंदुओं को सौंप देना चाहिए, क्योंकि अब ये प्रामाणिक हो चुका है। साफ हो चुका है कि मस्जिद, मंदिर को तोड़ कर ही बनाई गई है।
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