मॉस्को
रूस एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत ईरान में 164 किलोमीटर लंबी रश्त-अस्तारा रेलवे लाइन के निर्माण में निवेश कर रहा है। इस प्रोजेक्ट की लागत 1.7 अरब डॉलर (लगभग 14 हजार करोड़ रुपये) है। ये रेल लाइन अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का हिस्सा है। रेल लाइन रूस के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि इसके तैयार होने के बाद से मुंबई से रूस के सेंट पीटर्सबर्ग तक माल सिर्फ 10 दिन में पहुंचाया जा सकेगा। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों ने भारी प्रतिबंध लगा रखे हैं, जिसके चलते रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव है। पश्चिमी प्रतिबंधों के दबाव को कम करने के लिए मॉस्को भारत और खाड़ी देशों के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने के लिए अरबों का निवेश कर रहा है।
रूस और ईरान ने पिछले साल अतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे के तहत एक रेलवे लाइन को निर्माण करने के लिए एक डील की थी। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित रेल लाइन ईरान में कैस्पियन सागर के पास स्थित शहर रश्त और अजरबैजान के बॉर्डर पर मौजूद अस्तारा को जोड़ेगी। इस लिंक से अजरबैजान रेलवे के जरिए आगे चलकर ये रूसी रेलवे ग्रिड तक पहुंच जाएगी। आइए देखते हैं कि ईरान में इस भारी निवेश के जरिए रूस क्या हासिल करना चाहता है और उसकी दीर्घकालिक योजना क्या है?
रेल लाइन से रूस क्या हासिल करना चाहता है?
दशकों तक रूस के लिए यूरोप इकलौता सबसे बड़ा बाजार रहा है, लेकिन यूक्रेन पर हमले के बाद जारी पश्चिमी प्रतिबंधों ने इस स्थिति को बदल दिया है। इसके बाद से ही रूस ने व्यापार को बढ़ाने के लिए एशिया की तरफ नजरें की हैं, जिनमें भारत, चीन और ईरान उसकी खास लिस्ट में हैं। ईरानी रेलवे प्रोजेक्ट में रूसी निवेश को इसी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। कैस्पियन सागर से लगी इस लाइन के पूरा इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से रूस को बाल्टिक सागर से ईरानी बंदरगाह तक कनेक्टिविटी मिल जाएगी जो आगे चलकर रूस की पहुंच को हिंद महासागर और गल्फ तक ले जाएगा।
दरअसल, प्रतिबंधों की मार झेल रहा रूस पश्चिम से दूर जाने के लिए रास्ता तलाश रहा है। ग्लोबल साउथ के साथ संबंध विकसित करना रूस की इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता है। नया ट्रेड लिंक रूस को अपना तेल और गैस दूसरे बाजार में पहुंचाने के लिए रास्ता देगा। इसके के साथ ही उन सामानों के आयात में भी मदद करेगा जिन्हें वो नहीं बना सकता है। द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, रश्त-अस्तारा रेलवे लाइन अजरबैजान रेलवे से जुड़ेगी, जो सेंट पीटर्सबर्ग और ईरान के सबसे व्यस्त बंदरगाह बंदर अब्बास के बीच एक सीधा गलियारा तैयार करेगी। इस रेलवे लाइन प्रोजेक्ट पर इसी साल काम शुरू होने की संभावना है। हालांकि, ये पूरी तरह से 2027 में शुरू होगी।
भारत के लिए क्यों है खास?
अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे की नींव साल 2002 में पड़ी थी, जब भारत, रूस और ईरान ने 7200 किलोमीटर लंबे मल्टी मोड ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बनाने के लिए हस्ताक्षर किए थे। इस प्रोजेक्ट को आगे चलकर 10 और देशों अजरबैजान, बेलारूस, बुल्गारिया, आर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ओमान, ताजिकिस्तान, तुर्की और यूक्रेन ने भी सहमति दी। इस कॉरिडोर का उद्येश्य रूस के बाल्टिक सागर पोर्ट को ईरान के जरिए अरब सागर में मौजूद भारत के पपश्चिमी पोर्ट से जोड़ना था। हालांकि, विवादित परमाणु प्रोग्राम के चलते ईरान पर लगे प्रतिबंधों की वजह से पिछले कई सालों में इस प्रोजेक्ट में खास प्रगति नहीं हुई। आखिरकार, मई 2023 में रूस और ईरान ने रश्त-अस्तारा रेलवे लाइने के निर्माण के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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