नईदिल्ली
यह तस्वीर भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के जगुआर फाइटर जेट की है. जिसे सेपेकैट जगुआर (SEPECAT Jaguar) भी बुलाते हैं. इसे पहले ब्रिटिश और फ्रांसीसी वायुसेना इस्तेमाल करती थी. भारतीय वायुसेना में अब भी यह सेवा दे रहा है. 1968 से 1981 तक दुनिया में कुल 573 जगुआर फाइटर जेट बनाए गए.
भारतीय वायुसेना के पास 160 जगुआर विमान हैं, जिनमें से 30 ट्रेनिंग के लिए हैं. इसका मुख्य काम ही ग्राउंड अटैक करना है. भारत में इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड बनाती है. इस विमान के कई वैरिएंट्स हैं. किसी को एक पायलट उड़ाता है. तो किसी को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं.
55.3 फीट लंबे विमान का विंगस्पैन 28.6 फीट है. जबकि ऊंचाई 16.1 फीट है. टेकऑफ के समय इसका अधिकतम वजन 15,700 किलोग्राम होता है. इसमें 2 रोल्स रॉयस टर्बोमेका अडोर एमके.102 के इंजन लगा है. इसमें 4200 लीटर फ्यूल आता है. इसके अलावा 1200 लीटर के ड्रॉप टैंक्स भी लगाए जा सकते हैं.
छोटे रनवे पर टेकऑफ और लैंडिंग की खासियत
समुद्री सतह के ऊपर इसकी अधिकतम गति 1350 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जबकि, 36 हजार फीट की ऊंचाई पर यह 1700 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. सारे फ्यूल टैंक अगर भरे हों तो यह 1902 किलोमीटर की रेंज कवर करता है. अधिकतम 46 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. ये मात्र डेढ़ मिनट में 30 हजार फीट पहुंच जाता है. इसकी बड़ी खासियत थी कि यह 600 मीटर के छोटे रनवे पर से भी टेकऑफ या लैंडिंग कर लेता था.
परमाणु बम समेत हथियारों का पूरा जखीरा ले जा सकता है
इसमें 30 मिलिमीटर के 2 कैनन लगे है, जो हर मिनट 150 गोलियां दागते हैं. इसमें कुल मिलाकर 7 हार्डप्वाइंट्स हैं. 4 अंडर विंग, 2 ओवर विंग और एक सेंट्रल लाइन में. यह 4500 किलोग्राम वजनी हथियार उठाकर उड़ान भर सकता है. इसमें 8 Matra रॉकेट पॉड्स के साथ 68 मिलिमीटर के 18 SNEB रॉकेट लगा रहता है.
इसमें एक एंटी-राडार मिसाइल, 2 हवा से हवा में मार करने वाली AIM-9 साइड विंडर मिसाइल, RudraM-1 एंटी-रेडिएशन मिसाइल, हार्पून एंटी-शिप मिसाइल, सी-ईगल एंटी-शिप मिसाइल, प्रेसिशन गाइडेड म्यूनिशन, स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन, कई तरह के गाइडेड या अनगाइडेड बम, परमाणु बम लगाए जा सकते हैं.
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