भोपाल
अयोध्या नगर एक्सटेंशन के 84 एकड़ बस्ती में रहने वाले 28 वर्षीय मनोज चौरे को शराब पीकर हंगामा करने वाले अपराधियों को रोकने की कीमत अपनी जान देकर चुकाना पड़ी। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि बदमाश शराब पीकर अश्लील गाने स्पीकर लगाकर बजा रहे थे और गंदी-गंदी गालियां देकर शोर मचा रहे थे। इन आवाजों को सुनकर उसकी गर्भवती बहन और बच्चों की नींद टूट गई तो वह बच्चे और बहन को साथ लेकर उन्हें रोकने पहुंचा था। वहां पर बदमाशों ने उसे पकड़कर चाकू से उसका गला रेत दिया, वह खून में लथपथ जैसे तैसे घर पहुंचा और मां की गोद में जाकर लेट गया। मां, बहन और बच्चे यह देखकर रोने लगे और थोड़ी ही देर में उसने अपनी मां की गोद में दम तोड़ दिया। इधर, घटना के बाद से मुख्य आरोपी फरार हो गया, जिसे अगले दिन अयोध्या नगर थाना पुलिस ने सुबह विदिशा जिले के ग्यारसपुर से गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, वह अपने घर सागर भागने की फिराक में था, जबकि अन्य दो युवकों को पुलिस ने घर से ही गिरफ्तार किया।
बहन के सामने गला रेता, 50 मीटर दूर तक गिरता रहा खून
मनोज चौरे सात भाई-बहनों में सबसे छोटा था और निजी काम करता था। सात में से चार भाई यहां अलग-अलग घरों में रहते हैं। उसके मम्मी-पापा के साथ दो बहनें रहती हैं।
मनोज के घर के ठीक पीछे बनी झुग्गी में प्रदीप पिछले छह महीने से किराए पर रहता था। करीब दस दिन पहले यहां प्रहलाद और राजू कुशवाहा भी रहने आए थे। ये तीनों सागर जिले के रहने वाले हैं।
रविवार रात को काम से लौटने के बाद मनोज सो रहा था, लेकिन देर रात तीनों ने मोबाइल से स्पीकर कनेक्ट कर तेज आवाज में गाना बजाना और नाचना शुरू कर दिया।
करीब डेढ़ बजे रात तक हुड़दंग चलता रहा तो मनोज और उसकी नौ माह की गर्भवती बहन उन्हें रोकने के लिए पहुंची तो पांच मिनट तक वहां बहस हुई। इसके बाद नशे में राजू और प्रदीप ने मनोज को पकड़ लिया।
बहन कुछ समझ पाती इससे पहले ही प्रहलाद कुशवाहा ने छुरी उठाकर उसके गले पर चला दी। इससे उसके गले से खून की धार निकलने लगी। मनोज करीब 50 मीटर दूर मम्मी-पापा के घर पहुंचा तो पूरे रास्ते में खून ही खून पड़ा था।
बहन ने चीखना चिल्लाना शुरू किया तो घर के सभी लोग इकट्ठे हो गए। मनोज मां की गोद में जा बैठा और पांच मिनट के अंदर उसकी जान चली गई। पुलिस को सूचना दी तो वे पंचनामा बनवाने उसे अस्पताल ले गए थे।
मनोज के घर में दो दिसंबर को दूसरे बेटे का जन्म हुआ था। सोमवार को उसकी छठी मनाई जानी थी। मनोज आर्थिक रूप से परेशान था, इसके बाद भी उसने कार्यक्रम के लिए रुपयों की व्यवस्था की थी। मनोज के पिता विश्वनाथ चौरे ने बताया कि रविवार को छठी मनाई जानी थी, लेकिन उसके पास रुपयों की व्यवस्था नहीं थी तो सोमवार को कार्यक्रम रखा था। इसके लिए बैतूल से रिश्तेदारों को बुलाया था, लेकिन जिन्हें मनोज के बेटे की छठी मनानी थी, वे अब मनोज का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।
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