नई दिल्ली
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। विपक्ष ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया। इसके मद्देनजर सरकार ने बिल को जॉइंट पार्लियामेंटरी कमिटी यानी संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट ने 12 दिसंबर को इस बिल को मंजूरी थी। घमासान की वजह से वक्फ संशोधन बिल की तरह 'एक देश एक चुनाव' बिल भी जेपीसी के पास जा रहा है। आइए एक नजर डालते हैं कि संसद में किन पार्टियों ने इस बिल के समर्थन और किन्होंने विरोध का ऐलान किया।
भाजपा और उसके सहयोगी दल इस विधेयक के समर्थन में हैं। बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस जैसे कुछ गैर-एनडीए दलों का भी इस बिल को समर्थन है। दूसरी तरफ कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके जैसे कई विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। कुल 32 राजनीतिक दल इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, जबकि 15 दल इसका विरोध कर रहे हैं।
बिल पेश करने को लेकर लोकसभा में हुआ मत विभाजन
बिल को पेश करने को लेकर विपक्ष ने मत विभाजन की मांग की, जिसके बाद वोटिंग हुई। बिल को सदन पटल पर रखे जाने के पक्ष में 269 वोट पड़े जबकि विरोध में 198 वोट पड़े। अब सदन में बिल को जेपीसी में भेजने की औपचारिकता पूरी की जाएगी।
कोविंद कमिटी ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर में इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। समिति ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई थी। स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर कराने की बात कही गई थी। समिति ने सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची बनाने की भी सिफारिश की थी।
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