भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का न केवल यह दृढ़ विश्वास है कि लोकतंत्र में असली मालिक जनता होती है, अपितु उन्होंने प्रदेश में इसे चरितार्थ भी किया है। प्रदेश में सुदृढ़ और सशक्त होती पंचायती राज संस्थाएँ इसका जीता-जागता उदाहरण है। पंचायती राज की मूल अवधारणा भी यही है कि गाँव-गाँव, नगर-नगर शासन की जिम्मेदारी जनता के हाथों में हो और वे अपनी स्थानीय जरूरतों के अनुसार अपने गाँव, नगर का विकास कर सकें। जन-प्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारी शासक नहीं, अपितु जनता के सहयोगी और सहायक की भूमिका में हों।
मध्यप्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं को सुदृढ़ और सशक्त बनाने के लिए पंचायतों और पंचायत प्रतिनिधियों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने पंचायत प्रतिनिधियों के राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण एवं प्रशिक्षण सम्मेलन में स्पष्ट रूप से कहा कि- "पंचायत प्रतिनिधि मेरी आँख और कान हैं। व्यवस्था में सुधार के लिए वे मुझे निरंतर सुझाव दें। जिस प्रकार ग्राम पंचायत में सरपंच होता है उसी प्रकार मैं मध्यप्रदेश का सरपंच हूँ।" किसी पंचायत प्रतिनिधि के लिए इससे बड़ा सम्मान क्या हो सकता है।
प्रदेश में ग्राम सभाओं को गाँवों के विकास के लिए व्यापक अधिकार दिए गए हैं। वे स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार विकास की योजनाएँ बना सकती हैं और उन पर अमल कर सकती हैं। पंचायतों को अधिक से अधिक शक्ति प्रदान करते हुए शासकीय कार्यों की मंजूरी के लिए उन्हें 25 लाख रुपए तक के अधिकार दे दिए गए हैं। प्रदेश की पंचायतों को 15वें वित्त आयोग की 1472 करोड़ रूपए की राशि जारी कर दी गई है। सरपंचों का मानदेय जो पहले 1750 रूपए था, अब बढ़ाकर अब 4250 रूपए कर दिया गया है। निर्माण कार्यों के लिए अब नया s-o-r बनाने का भी निर्णय लिया गया है। पंचायतों के सचिवों के रिक्त पदों की पूर्ति भी शीघ्र की जाएगी। प्रत्येक ग्राम पंचायत में रोजगार सहायक नियुक्त होंगे और उनका एक पंचायत से दूसरी पंचायत में स्थानांतरण किया जा सकेगा। पंचायत पदाधिकारियों को विकासखंड स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ग्रामों के सुनियोजित विकास के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने शहरों की तरह गाँव का भी मास्टर प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। हर कार्य योजनाबद्ध तरीके से हो। ग्राम सभा के पदाधिकारी गाँव में कराए जाने वाले कार्यों का निर्धारण करें। कांक्रीट की सड़क हो या खेल का मैदान, मास्टर प्लान के अनुरूप स्थानीय स्तर पर कार्यों को पूर्ण किया जाएगा। गाँव के विकास के लिए कपिलधारा योजना और सुदूर संपर्क सड़क योजना को दोबारा प्रारंभ किया गया है। प्रदेश में अब विभिन्न शासकीय योजनाओं की राशि पंचायतों के खाते में सीधे पहुँच रही हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार अब गाँव में भी प्रत्येक माह रोजगार दिवस मनाया जाएगा, जिसमें अधिक से अधिक ग्रामीण युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सकेगा। स्व-सहायता समूहों को शक्तिशाली बनाकर आर्थिक और अन्य गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। विभिन्न स्व-रोजगार योजनाओं में ग्रामीण युवाओं को लाभ दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान की घोषणा के अनुरूप प्रदेश में ग्राम पंचायतों को समरस, स्वच्छ और पर्यावरण हितैषी बनाया जा रहा है। पंचायतों में छोटे-मोटे झगड़े गाँव स्तर पर ही निबट जाए और ग्राम की समस्याओं का ग्राम स्तर पर ही हल हो जाए, इस अवधारणा पर कार्य किया जा रहा है। गाँवों में स्वच्छता पर विशेष कार्य हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ग्रामीणों से खुशी एवं पुण्य अवसरों पर पौधे लगाने और गांवों को नशा मुक्त बनाने के लिए निरंतर अपील कर रहे हैं।
पंचायती राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। इस बार पंचायतों में बड़ी संख्या में महिलाएँ चुनकर आई हैं, जो अपनी पंचायतों का कुशल नेतृत्व कर रही हैं।
More Stories
“द साबरमती रिपोर्ट” फिल्म अतीत के काले पृष्ठ और घटना की सत्यता को सामने लाती है: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
रोजगार मेले से 177 युवाओं को मिले रोजगार के अवसर
कांग्रेस संगठन की मजबूती के साथ नए लोगों को जोड़ने पर जोर, आज और कल नवंबर को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होगी