जबलपुर
जबलपुर में रेलवे अफसर और उनके बेटे की हत्या के मामले में कातिल तो पुलिस के हाथ नहीं आया, लेकिन इस मामले की छानबीन के दौरान पुलिस को चौंकानेवाली जानकारी ज़रूर मिली है. जबलपुर पुलिस के मुताबिक, रेल अधिकारी की लापता बेटी काव्या की कॉल डिटेल से पता चला है कि वो इस दोहरे हत्याकांड की वारदात में शामिल है. वो अपने पड़ोसी दोस्त के साथ मिलकर पिछले 6 महीने से इस खौफनाक वारदात की साजिश रच रही थी. अभी तक वो पुलिस की पहुंच से बाहर है, लेकिन हाल ही में उसकी लोकेशन पुणे में मिली है.
बेटी, ब्वॉयफ्रेंड और साजिश
जबलपुर के रेलकर्मी राजकुमार विश्वकर्मा और उनके आठ साल के बेटे तनिष्क की हत्या के मामले में पुलिस को राजकुमार की नाबालिग बेटी और उसके ब्वॉयफ्रेंड मुकुल सिंह की तलाश है. अब तक पुलिस इस असमंजस में थी कि क्या राजकुमार की नाबालिग बेटी भी अपने पिता और छोटे भाई के कत्ल में शामिल है? लेकिन अब तफ्तीश में पुलिस को ऐसी बातें पता चली हैं जिससे ना सिर्फ ये साफ हो गया कि इस दोहरे क़त्ल के पीछे राजकुमार विश्वकर्मा की नाबालिग बेटी का भी हाथ है, बल्कि इस क़त्ल की साजिश बेटी अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ मिलकर पिछले छह महीने से रच रही थी.
CDR और चैट हिस्ट्री ने खोला राज
असल में कत्ल के बाद फरार होने से पहले दोनों ने अपने मोबाइल फोन अपने-अपने घरों में छोड़ दिए थे. और लड़की अपने साथ अपनी मां का मोबाइल फोन लेकर निकली थी, ताकि पुलिस उन्हें मोबाइल फोन के ज़रिए ट्रैक ना कर सके. ऐसे में पुलिस ने दोनों के घर से उनके मोबाइल फोन बरामद कर लिए और उसकी जांच शुरू की. जब पुलिस ने उनके मोबाइल फोन की सीडीआर, रिकॉर्डिंग्स और चैट हिस्ट्री की पड़ताल की तो पता चला कि बेटी पिछले छह महीने से ही अपने पिता के और भाई के क़त्ल की साजिश रच रही थी और इसे लेकर वे दोनों मिलकर लगातार प्लानिंग कर रहे थे.
रेल अधिकारी ने मुकुल को भिजवाया था जेल
असल में पिछले साल सितंबर में मुकुल अपनी नाबालिग गर्लफ्रेंड को लेकर भोपाल भाग गया था. जिन्हें पुलिस ने वहां से बरामद कर लिया था. लेकिन इसके बाद लड़की के पिता राजकुमार विश्वकर्मा ने अपनी बेटी के ज़रिए मुकुल सिंह के खिलाफ बाल यौन उत्पीड़न यानी पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया था और बेटी को अपने बड़े बाई के घर पिपरिया भेज दिया था. लेकिन बेटी का मोबाइल उसके पास ही रहा और इसी मोबाइल फोन से वो अपने ब्वॉयफ्रेंड मुकुल के संपर्क में बनी रही.
पिपरिया नहीं जाना चाहती थी काव्या
मुकुल सिंह जब जेल से बाहर आया, तो दोनों ने फोन पर खुल कर बातचीत शुरू की. चूंकि कत्ल से कुछ रोज़ पहले बेटी काव्या दसवीं के इम्तेहान के लिए पिपरिया से वापस जबलपुर आई थी, उसने यहां आते ही ये प्लान कर लिया था कि अब वो किसी भी कीमत पर दोबारा पिपरिया लौट कर नहीं जाएगी. जबकि उसके पिता उसे इम्तेहान के बाद फिर से पिपरिया भेजने की प्लानिंग कर रहे थे. ऐसे में बेटी ने अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ मिलकर अपने पिता और भाई की जाान लेने की ही प्लानिंग कर ली.
गैस कटर साथ लेकर घूम रहा था मुकुल
अब इस डबल की तफ्तीश में पुलिस को उन दोनों की लोकेशन मध्य प्रदेश से बाहर मिली है, जहां उन्होंने एक रेस्टोरेंट में ऑनलाइन पेमेंट की थी और इसके बाद फिर से अपने पास मौजूद मोबाइल फोन को स्विच्ड ऑफ कर लिया था. फिलहाल पुलिस को कॉलोनी के जो नए सीसीटीवी फुटेज मिले हैं, उससे भी कई बातें साफ हुई हैं. इन सीसीटीवी फुटेज में कत्ल वाली रात मुकुल सिंह गैस सिलिंडर, कटर, ग्लव्स वगैरह के साथ कॉलोनी में घूमता दिख रहा है, जो इस बात का सबूत है कि वो कत्ल की प्लानिंग पहले ही कर चुका था.
किसी अंजान जगह रहना चाहते हैं दोनों
सिविल लाइन थाने के प्रभारी निरीक्षक धीरज राज ने जानकारी देते हुए बताया कि फरार होने से पहले मुकुल सिंह अपने साथ अपने सारे एडुकेशनल सर्टिफिकेट्स वगैरह लेकर भागा है. ऐसे में शक है कि शायद दोनों अपने घर से दूर किसी अंजान जगह पर अपने हिसाब से जिंदगी जीना चाहते हैं और मुकुल काम की तलाश में है.
दोनों के पकड़े जाने का इंतजार
यानी अब तक की तफ्तीश से कत्ल का मकसद, साजिश और साजिश के पीछे छुपे इन दोनों चेहरों की कहानी तकरीबन साफ है. बस इंतजार है तो दोनों के पकड़े जाने का. इस दौरान पुलिस को उनकी आखिरी लोकेशन पुणे में मिली है. बताया जा रहा है कि काव्या ने वहां अपने एटीएम कार्ड का इस्तेमाल भी किया था. इसलिए पुलिस को उसकी लोकेशन का पता चल गया.
ऐसे सामने आया था डबल मर्डर का ये मामला
इस खौफनाक कहानी का आगाज 15 मार्च 2024 को उस वक्त हुआ, जब जबलपुर से करीब सवा दो सौ किलोमीटर दूर पिपरिया में रहनेवाली आरती के मोबाइल पर एक व्हाट्स एप ऑडियो मैसेज आया. लेकिन आरती की नजर इस ऑडियो मैसेज पर करीब चार घंटे बाद पड़ी. ऑडियो मैसेज उसकी चचेरी बहन 16 साल की काव्या ने जबलपुर से भेजा था. काव्या राजकुमार विश्वकर्मा की बेटी है. उसने मैसेज में कहा था कि उसके पापा और भाई को किसी ने मार डाला है और दोनों की लाशें घर में पड़ी है.
मैसेज देखने के बाद दी खबर
देर से ही सही पर मैसेज पढ़ते ही आरती घबरा गई. उसने अपने पापा को इस मैसेज के बारे में बताया. इसके बाद आरती के पापा ने फौरन जबलपुर में रहने वाले अपने जानकारों को इस बात की खबर दी. तब कहीं जा कर दोपहर तीन बजे के आस-पास पुलिस को पहली बार इसकी जानकारी मिली. पुलिस की एक टीम अब फौरन रेलवे कॉलोनी पहुंची. घर का दरवाजा बंद था. जबकि घर के पीछे बालकोनी की तरफ का दरवाजा गैस कटर से कटा हुआ था.
किचन में पिता, फ्रिज में बेटे की लाश
घर में दाखिल होते ही पुलिस की नजर सबसे पहले किचन में एक पन्नी में लिपटी लाश पर पड़ती है. किचन में चारों तरफ खून की खून था. लाश की शिनाख्त राजकुमार विश्वकर्मा के तौर पर होती है. घर में विश्वकर्मा के अलावा उनकी 16 साल की बेटी काव्या और 8 साल का बेटा तनिष्क ही रहते थे. राजकुमार की पत्नी की 2023 में बीमारी की वजह से मौत हो गई थी. पुलिस घर में चारों तरफ बाकी दोनों बच्चों को ढूंढती है, लेकिन कोई और नहीं मिलता. तभी एक पुलिस वाले की नजर फ्रिज के दरवाजे पर बने हैंडल पर पड़ती है. हैंडल पर खून के छींटे थे. इसी के बाद जब पुलिस वाले ने फ्रिज का दरवाजा खोला, तो अंदर पन्नी में लिपटी एक और लाश मिलती है. ये लाश थी राजकुमार के 8 साल के बेटे तनिष्क की.
घर में थीं दो लाशें तो तीसरा सदस्य कहां?
घर में रहने वाले तीन लोगों में से दो की लाश मिल चुकी थी. लेकिन काव्या घर में कहीं नहीं थी. घर के पीछे बालकोनी का दरवाजा गैस कटर से कटा हुआ था, जिसे देख कर पुलिस ने अंदाजा लगा लिया कि कातिल इसी दरवाजे से घर के अंदर दाखिल हुआ. लेकिन घर के अंदर घर की तीसरी सदस्य काव्या की ना तो लाश मिली और ना ही खुद काव्या. तो क्या कातिल काव्या को किडनैप कर अपने साथ ले गया? कहीं काव्या का भी कत्ल नहीं हो गया? आखिर राजकुमार विश्वकर्मा के परिवार से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती है? इन्हीं सवालों के साथ पुलिस ने अपनी तफ्तीश शुरू की.
लाल रंग की स्कूटी के पीछे जाती है लड़की
राजकुमार का परिवार जिस रेलवे कॉलोनी में रहा करता था, उस कॉलोनी में सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे. पुलिस ने अपनी तफ्तीश यहीं से शुरू की. तभी कैमरे में कैद एक तस्वीर पर जब पुलिस की नजर पड़ी, तो खुद पुलिस चौंक उठी. ये वही तस्वीर थी. 15 मार्च की दोपहर करीब 12 बजे इस रेलवे कॉलोनी से एक लड़का लाल रंग की स्कूटी पर बाहर निकलता है. जैसे ही वो लड़का कॉलोनी की गेट से बाहर निकलता है, तभी एक लड़की ठीक उसके पीछे-पीछे पैदल बाहर निकल जाती है. और उसी तरफ मुड़ती है, जिस तरफ स्कूटी के साथ वो लड़का मुड़ा था.
काव्या को जिंदा देख पुलिस ने ली राहत की सांस
वो लड़की कोई और नहीं बल्कि राजकुमार की बेटी काव्या थी. दिन के उजाले में काव्या की इस तस्वीर को देखने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली कि कम से कम काव्या जिंदा है. और किसी ने उसे किडनैप नहीं किया. लेकिन इसी तस्वीर के साथ पुलिस के मन में तमाम शक और सवाल भी कौंधने लगे. अब जबलपुर पुलिस ने तय किया कि वो कॉलोनी के बाहर शहर में अलग-अलग जगह पर लगे बाकी सीसीटीवी कैमरों को भी खंगालेगी. इसके लिए एक साथ पुलिस की कई टीमें जुट गईं.
रेलवे स्टेशन पर पार्क थी स्कूटी
थोड़ी ही देर के बाद पुलिस को पहली कामयाबी मिली. रेलवे कॉलोनी के करीब ही मौजूद मदनमहल रेलवे स्टेशन की पार्किंग में उसी लाल रंग की स्कूटी पर वो लड़का और काव्या एक साथ नजर आए. ल़ड़के ने स्टेशन की पार्किंग में स्कूटी पार्क कर दी. इसके बाद दोनों वहां से पैदल निकल पड़े. पार्किंग में स्कूटी पार्क करने की इस तस्वीर से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि दोनों किसी ट्रेन से शहर छोड़ कर जा रहे हैं. अब पुलिस ने मदन महल रेलवे स्टेशन की सीसीटीवी तस्वीरों को खंगालना शुरू किया.
रेलवे स्टेशन के अंदर दाखिल होते दिखे काव्या और मुकुल
वहां से भी पुलिस को तस्वीरों की शक्ल में दो सबूत मिलते हैं. दोपहर लगभग 12 बज कर उनसठ मिनट पर काव्या और वही लड़का पहले रेलवे स्टेशन के अंदर दाखिल होते हुए दिखाई देते हैं और फिर एक दूसरे कैमरे में स्टेशन से बाहर निकलते दिखाई देते हैं. मुश्किल से मिनट दो मिनट की बात थी, जब दोनों स्टेशन आए भी और फिर स्टेशन से बाहर भी निकल गए. उनके इस आने और फौरन लौट जाने से ऐसा लगता है मानों वो स्टेशन कोई ट्रेन पकड़ने नहीं आए थे. बस आ कर लौट जाने के लिए आए थे.
पीले रंग की बस में सवार हुए थे दोनों
अब पुलिस की टीम रेलवे स्टेशन के आस-पास के इलाकों के कैमरों को खंगालती है. पुलिस को फिर कामयाबी फिर मिलती है. इस बार काव्या और वो लड़का जबलपुर के आईएसबीटी पर एक कैमरे में नजर आते हैं. दोनों एक पीले रंग की बस की तरफ बढ़ते हैं. और फिर बस में सवार हो जाते हैं. ये बस जबलपुर से कटनी जा रही थी. चूंकि बस कैमरे में कैद हो चुकी थी लिहाजा अब पुलिस की एक टीम उस बस को ढूंढने में लग जाती है.
बार-बार बदल रहे थे बस
बस के ड्राइवर और कंडक्टर से पता चलता है कि वो दोनों कटनी से बहुत पहले आधारताल में ही उतर गए थे. अब पुलिस आधारताल के बस स्टैंड से जानकारी लेती है. तो पता चलता है कि दोनों आधारताल से एक दूसरी बस में रवाना हुए और कटनी से बहुत पहले सिहोरा में उतर गए. पुलिस की टीम अब सिहोरा पहुंचती है. सिहोरा बस स्टैंड से पता चलता है कि दोनों ने वहां से एक और बस ली और फिर दोनों कटनी उतर गए.
कटनी जाने के लिए बदली तीन-तीन बसें?
अब सवाल ये है कि जबलपुर से 90 किलोमीटर दूर कटनी जाने के लिए दोनों ने तीन बसें क्यों बदलीं? वो जबलपुर से सीधे पहली बस से ही कटनी जा सकते थे. अमूमन ऐसा लोग तभी करते हैं, जब वो पुलिस को चकमा देने की कोशिश करते हैं. पर ये दोनों पुलिस को क्यों चकमा दे रहे थे? तो चलिए पूरी कहानी समझने के लिए सबसे पहले काव्या के साथ जगह-जगह कैमरे में नजर आ रहे इस लड़के से आपको मिलाते हैं.
काव्या ने मुकुल को भिजवा दिया था जेल
करीब 20 साल के उस लड़के का नाम मुकुल सिंह है. मुकुल इसी रेलवे कॉलोनी में रहता है. और काव्या का पड़ोसी है. पिछले साल सितंबर में काव्या ने मुकुल के खिलाफ पुलिस में एक रिपोर्ट लिखाई थी. इसी के बाद पुलिस ने पॉक्सो एक्ट और बाकी धाराओं में मुकुल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. लेकिन करीब महीने भर बाद वो जमानत पर बाहर आ गया. सितंबर में इस रिपोर्ट को लिखाने के साथ-साथ काव्या के पिता राजकुमार विश्वकर्मा ने अपनी बेटी को अपने भाई के घर पिपरिया भेज दिया था. तब से काव्या वहीं रह रही थी.
फिर भी एक साथ क्यों थे काव्या और मुकुल?
दसवीं की स्टूडेंट काव्या का इसी महीने बोर्ड का इम्तेहान था. वो इम्तेहान देने के लिए जबलपुर आई थी. अब आप सोच रहे होंगे कि जिस मुकुल की वजह से काव्या को जबलपुर से पिपरिया जाना पड़ा और काव्या की वजह से मुकुल को जेल जाना पड़ा, वही दोनों राजकुमार और तनिष्क के कत्ल के बाद लगातार एक साथ क्यों भाग रहे हैं? तो इस सवाल का जवाब इन दोनों के मिलने के बाद ही मिलेगा. लेकिन जब तक ये दोनों नहीं मिल जाते, तब तक इस कहानी के दो पहलू सामने आ रहे हैं.
कत्ल की कहानी का पहला पहलू
कहानी का पहला पहलू ये है कि काव्या और मुकुल एक दूसरे को प्यार करते थे. ये बात काव्या के पिता राजकुमार विश्वकर्मा को पता चल गई. इसी के बाद उन्होंने काव्या के जरिए मुकुल के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई. जिसके बाद मुकुल जेल गया और मुकुल से जुदा करने के लिए काव्या को अपने भाई के पास पिपरिया भेज दिया. अब जब बोर्ड का इम्तेहान देने काव्या वापस लौटी, तो दोनों ने मिल कर राजकुमार और तनिष्क की हत्या कर दी.
गैस कटर का इस्तेमाल क्यों?
पुलिस के मुताबिक घर में मिले सामान से ऐसा पता चलता है कि दोनों ने कत्ल के बाद भी कई घंटे इस घर में बिताए. यहां तक कि दो लाशों की मौजूदगी में दोनों ने नाश्ता भी किया. फिर काव्या ने अपनी कजन को ऑडियो मैसेज भेजा. कत्ल की खबर दी और मुकुल के साथ घर से भाग गई. लेकिन इस कहानी में एक पेंच है. अगर कत्ल में काव्या भी शामिल है और मुकुल के साथ मिल कर ही उसने अपने पिता और भाई को मारा है, तो फिर मुकुल को घर में दाखिल होने के लिए गैस कटर से पीछे का दरवाजा क्यों काटना पड़ा? वो बड़ी आसानी से काव्या की मदद से बिना दरवाजा काटे भी घर में दाखिल हो सकता था.
कत्ल की कहानी की दूसरा पहलू
कहानी का दूसरा पहलू ये है कि ये सबकुछ अकेले मुकुल ने किया है. और किसी मजबूरी के चलते काव्या ने उसका साथ दिया. यानी काव्या खुद दबाव में थी. ये एक तरह से आज़ाद होकर भी बंधक थी. लेकिन कहानी के इस दूसरे पहलू में भी बहुत से झोल हैं. पिता और भाई की हत्या हो जाए और बेटी उसी कातिल के साथ इधर उधर साथ नजर आए, ये गले नहीं उतरता. जबलपुर पुलिस सूत्रों के मुताबिक उन्हें भी कहानी के पहले पहलू यानी इस बात का शक है कि काव्या और मुकुल ने मिल कर इस दोहरे कत्ल को अंजाम दिया है.
क्या किसी फिल्म से इंस्पायर है ये डबल मर्डर?
मुकुल के बारे में शुरुआती तफ्तीश में ये पता चला है कि वो हिंदी में डब साउथ इंडियन मूवी काफी देखा करता था. खास कर क्राइम थ्रिलर. तफ्तीश के दौरान पुलिस को कुछ ऐसी चीजें पता चलीं, जिससे साबित होता है कि उसने ये सबकुछ किसी मूवी से ही इंस्पायर होकर किया. मसलन कत्ल के बाद काव्या और मुकुल ने अपने-अपने मोबाइल घर में ही छोड़ दिए. काव्या ने अपने पास खुद के मोबाइल की बजाय अपनी मां का मोबाइल रखा था. स्कूटी को ले जाकर रेलवे की पार्किंग में पार्क किया. फिर स्टेशन गए. ताकि लगे कि वो ट्रेन से भाग गए. लेकिन फिर स्टेशन से बाहर आए और बस पकड़ी. फिर तीन अलग-अलग बस बदली यानी मोबाइल से लेकर पूरे सफर के दौरान दोनों ने पुलिस को ठीक उसी तरह उलझाने की कोशिश की, जैसी बहुत सी साउथ की क्राइम थ्रिलर मूवी में दिखाई गई है. पुलिस की मानें तो गैस कटर से घर के पीछे के दरवाजे को काटने के पीछे भी दोनों का यही मकसद था कि इससे ये साबित हो सके कि कातिल जबरन घर में घुसा था. कोई जानकार नहीं था.
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