शनि त्रयोदशी का दिन शनिदेव और भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव और शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और शनिदेव दोनों का भक्तों को विशेष प्राप्त होता है. शनि त्रयोदशी के दिन पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त प्रदोष काल माना जाता है. प्रदोष काल सूर्यास्त के समय से शुरू होता है और लगभग डेढ़ घंटे तक चलता है. इस दौरान शिव जी और शनि देव की संयुक्त पूजा करने से विशेष फल मिलता है. शनि त्रयोदशी का पालन करने से शनि देव और भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है.
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 दिसंबर दिन शनिवार को तड़के सुबह 2 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी और 29 दिसंबर दिन रविवार को तड़के सुबह 3 बजकर 32 मिनट पर खत्म होगी. उदयातिथि के अनुसार, शनि त्रयोदशी का व्रत इस साल 28 दिसंबर दिन शनिवार को ही रखा जाएगा. इस दिन गोधूलि बेला की पूजा का महत्व है. इस दिन की पूजा शाम 05 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 17 मिनट तक के बीच होगी.
शनि त्रयोदशी पूजा विधि
शनि त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा जल मिलाकर स्नान करें और यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखें.
पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके शिवलिंग और शनि देव की मूर्ति स्थापित करें.
शिवलिंग और शनि देव की मूर्ति पर जल, दूध, दही, शहद, घी आदि से अभिषेक करें.
शिवलिंग और शनि देव को फूल, चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं.
घी का दीपक जलाएं और शिव मंत्र और शनि मंत्र का जाप करें.
शिव और शनि देव की आरती करें और जरूरतमंदों को दान करें.
पूजा में शामिल करें ये चीजें
काला तिल: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काला तिल का दान किया जाता है.
पीली वस्तुएं: पीले रंग की वस्तुएं शनि देव को प्रिय होती हैं.
लोहे की वस्तुएं: लोहे की वस्तुएं शनि देव का प्रतीक मानी जाती हैं.
तेल का दीपक: तेल का दीपक जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
शनि त्रयोदशी के दिन लोहे की वस्तुओं का दान करने से बचें और इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें.
शनि त्रयोदशी का महत्व
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है, तो उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. शनि त्रयोदशी के दिन पूजा करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है और जीवन में सुख-शांति आती है. शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि त्रयोदशी का दिन बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन की गई पूजा से शनि देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. हिंदू धर्म में कर्मफल का सिद्धांत महत्वपूर्ण है. शनि त्रयोदशी के दिन पूजा करने से व्यक्ति अपने पिछले जन्मों के बुरे कर्मों का प्रायश्चित कर सकता है और वर्तमान जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकता है.
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