लखनऊ
स्वामी प्रसाद मौर्य अब अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से पूरी तरह अलग हो गए हैं। उन्होंने नई पार्टी का गठन कर दिया है। इस पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी होगा। पार्टी का झंडा लॉन्च कर दिया गया है। स्वामी 22 फरवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक रैली को सम्बोधित करेंगे। वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल होंगे।
स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले कई दिनों से बगावती तेवर अपनाए हुए थे। राज्यसभा चुनाव के टिकट देने में पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की उपेक्षा का आरोप लगा रहे थे। बाद में स्वामी ने यह भी कहा कि वह समाजवादी पार्टी के कई नेताओं की बयानबाजी से आहत हैं। सोमवार को उन्होंने अपने लिए नया रास्ता चुन लिया। उन्होंने नई पार्टी के गठन के साथ उसके झंडे की तस्वीर भी मीडिया से साझा की। उनकी इस नई पार्टी में कौन-कौन रहेगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
बताया जा रहा है कि यह पार्टी 2013 में बनाई गई पार्टी थी। अलीगढ़ के रहने वाले साहेब सिंह धनगर ने बनाई थी। साहेब सिंह धनगर 1993 में बीएसपी से विधानसभा चुनाव लडे थे। वह 2002 में सपा से लड़े थे। बीच में बीएसपी से लोकसभा भी लड़े थे। 2013 में इन्होंने आरएसएसपी बनाई। 2014,2017,2019 का चुनाव इनकी पार्टी लड़ी थी। 2020 में इन्होंने इंडियन डेमोक्रेटिक एलायंस IDA बनाया जिसमें कई छोटे मोटे दल साथ आए। इस एलाएंस ने 2022 का चुनाव लडा था। साहेब सिंह धनगर भैय्या जी इस पार्टी के फाउंडर हैं।
कौन हैं स्वामी प्रसाद मौर्य?
स्वामी प्रसाद मौर्य मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं और समाजवादी पार्टी के नेता हैं। 2 जनवरी 1954 को प्रतापगढ़ में जन्मे मौर्य खुद को शोषित-पीड़ित और वंचित वर्ग का नेता बताते हैं। वो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आते हैं। 5 बार विधानसभा के सदस्य होने के साथ-साथ यूपी सरकार में मंत्री, विपक्ष के नेता और सदन के नेता भी रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपना राजनीतिक सफर 1980 में शुरू किया और 1996 से 2002 तक पहली बार विधायक बने। वो 1991 में महासचिव के रूप में जनता दल में शामिल हुए और 1996 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया। मार्च से अक्टूबर 1997 तक वो बीजेपी समर्थित मायावती सरकार में मंत्री रहे। 2002 से 2003 तक वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सरकार में मंत्री बनकर लौटे।
2017 से जनवरी 2022 तक मौर्य यूपी की बीजेपी शासित सरकार में श्रम, रोजगार और समन्वय के कैबिनेट मंत्री थे। 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और जनवरी 2022 में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।
समाजवादी पार्टी से क्यों खफा हुए मौर्य?
समाजवादी पार्टी से स्वामी प्रसाद मौर्य के नाराज होने की वजह पार्टी में अकेले पड़ जाना है। मौर्य ने जब अखिलेश यादव को महासचिव पद से इस्तीफा भेजा तो उसमें कारण भी साफ-साफ था। मौर्य ने आरोप लगाए थे कि पार्टी उनके बयानों का समर्थन नहीं करती है। बार-बार उनके बयानों को निजी बता दिया गया। स्वामी प्रसाद मौर्य का इशारा शायद उन बयानों की तरफ था, जिन पर उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों में जमकर हंगामा हुआ था। उस समय अखिलेश यादव से लेकर डिंपल यादव और बाकी नेताओं ने मौर्य के बयानों को निजी बताकर किनारा कर लिया था।
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