मुरैना
कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों ने फिर पार्क की सरहद लांघी है। खुले जंगल में छोड़े गए चीता पवन और वीरा चंबल क्षेत्र में मुरैना के पहाड़गढ़ में देखे गए हैं। उनकी लोकेशन के आधार पर चीता निगरानी टीम उन्हें खोज रही है। आबादी क्षेत्र के करीब चीतों की लोकेशन मिलने से वन विभाग सतर्क है।
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों में से केवल पवन व वीरा को ही कूनो पार्क के खुले जंगल में छोड़ा गया है। पूर्व में दोनों चीते शिवपुरी व गुना जिले से लेकर राजस्थान के बारां-शाहबाद के जंगलों तक पहुंच गए थे, जहां से रेस्क्यू कर वापस लाया गया। तीन दिन पहले पवन चीता मुरैना के पहाड़गढ़ तक आ गया। उसकी लोकेशन मरा गांव के भरकापुरा के जंगल में मिली।
यहां वन विभाग की टीम पहुंची तो वह आमझिर के जंगल से होता हुआ ईश्वरा महादेव के जंगलों में पहुंच गया है। चीता वीरा की लोकेशन भी पहाड़गढ़ क्षेत्र के आसपास है। कूनो डीएफओ थिरूकुराल आर का कहना है कि चीते पानी व शिकार की तलाश में दूर तक निकल जाते हैं। पांच सदस्यीय टीम उनकी निगरानी कर रही है।
कूनो में एक साल का हुआ भारतीय चीता, 29 को मनाई जाएगी वर्षगांठ
नामीबिया से लाई गई चीता ज्वाला से भारतीय धरती पर जन्मा पहला शावक एक साल का हो गया है। कूनो पार्क प्रबंधन 29 मार्च को उसकी वर्षगांठ मनाएगा। ज्वाला ने 27 मार्च 2023 को कूनो में चार शावकों को जन्म दिया था। तीन की भीषण गर्मी के चलते दो माह बाद ही मौत हो गई थी। चौथे चीता को एक माह तक चले इलाज के बाद बमुश्किल बचाया गया। कूनो प्रबंधन का कहना है कि देश के साथ इस उपलब्धि को 29 मार्च को साझा किया गया था, इसलिए वर्षगांठ 29 को मनाई जाएगी। इस दिन कूनो में विशेष आयोजन के साथ भारत की धरती पर सात दशक बाद जन्मे इस शावक की अठखेलियां करते वीडियो भी जारी किया जाएगा। इस समय कूनो में 13 चीतों के अलावा 14 शावक हैं।
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