नई दिल्ली
उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का लाया गया अविश्वास प्रस्ताव नोटिस खारिज हो गया है। इसके पीछे की वजह यह है कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस कम से कम 14 दिन पहले लाया जाना चाहिए था, जो नहीं हुआ। इसलिए, राज्यसभा के उसभापति ने तकनीकी आधार पर विपक्ष के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही विपक्षी दलों का दांव फेल हो गया है। सूत्रों के अनुसार, उपसभापति हरिवंश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह प्रस्ताव दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ एक नैरेटिव बनाने के लिए लाया गया था।
उपसभापति हरिवंश ने अस्वीकृति के कारणों को बताते हुए कहा कि 14 दिन का नोटिस, जो इस तरह के प्रस्ताव को पेश करने के लिए अनिवार्य है, नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि सभापति महोदय जगदीप धनखड़ का नाम भी सही ढंग से नहीं लिखा गया था।
पिछले हफ्ते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव के मुद्दे पर राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का जोरदार दौर चला, जिसके कारण हुए भारी हंगामे के बाद उच्च सदन की कार्यवाही शुक्रवार को दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई थी। कार्यवाही स्थगित होने से पहले धनखड़ ने विपक्ष पर उनके खिलाफ दिन-रात अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह एक किसान के बेटे हैं और कभी ‘कमजोर’ नहीं पड़ेंगे। उन्होंने कहा था, ‘‘दिन भर सभापति के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है…..यह अभियान मेरे खिलाफ नहीं है, यह उस वर्ग के खिलाफ अभियान है जिससे मैं जुड़ा हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से इस कारण से दुखी हूं कि मुख्य विपक्षी दल ने इसे सभापति के खिलाफ अभियान के रूप में पेश किया है। उन्हें मेरे खिलाफ प्रस्ताव लाने का अधिकार है। यह उनका संवैधानिक अधिकार है लेकिन वे संवैधानिक प्रावधानों से भटक रहे हैं।’’
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