अगर पित्त की थैली में कैंसर सेल्स विकसित होने लगें, तो इसे पित्त की थैली का कैंसर कहा जाता है। गॉलब्लैडर नाशपाती के आकार का अंग है, जो पेट में ठीक लिवर के नीचे स्थित है। भोजन पचाने में इसका बड़ा योगदान होता है। पित्त की थैली का कैंसर कॉमन नहीं है। बावजूद, शुरुआती स्तर पर कैंसर का पता चल जाए, तो इस समस्या का इलाज संभव है। आइए गॉलब्लैडर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
समय पर इलाज जरूरी
पित्ताशय का कैंसर तब होता है, जब स्वस्थ कोशिकाएं कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं जो बढ़ती हैं और नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। पित्ताशय पित्त को स्टोर करता है, जो फैट को पचाने के लिए लिवर द्वारा बनाया गया एक तरल पदार्थ है। जब पेट और आंतों में भोजन टूट रहा होता है, तो पित्त पित्ताशय से सामान्य पित्त नली नामक ट्यूब के माध्यम से निकलता है, जो पित्ताशय और लिवर को छोटी आंत के पहले भाग से जोड़ता है।
एक्शन कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर केयर क्लिनिक के सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. मनीष शर्मा कहते हैं कि जब कैंसर सेल्स गॉलब्लेडर के अंदर अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, तो पित्त की थैली में कैंसर विकसित होता है। इन कोशिकाओं में बना ट्यूमर अन्य शारीरिक क्षेत्रों में भी फैल सकता है। इस बीमारी के बारे में ज्ञान और समझ की कमी इसे और भी घातक बना देती है।
सावधानी बरतना है जरूरी
इस कैंसर का पता चलना इतना आसान नहीं है, लेकिन सावधानी बरती जाए तो आप इस समस्या से बच सकते हैं। इस बारे में मेट्रो हॉस्पिटल में कैंसर एक्सपर्ट डॉ. सुधीर श्रीवास्तव कहते हैं कि गॉलब्लैडर के कैंसर का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि प्रारंभिक अवस्था में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
जब लक्षण प्रकट होते हैं, तो वे अधिक सामान्य स्थितियों के समान होते हैं, जैसे पित्त पथरी या पित्त नली में रुकावट आदि। इसके सामान्य लक्षणों में ऊपरी पेट में दर्द, त्वचा का पीला पड़ना, आंखों का सफेद भाग पीला होना, पेट में गांठें, वजन घटना, उल्टी, सूजन, बुखार आदि है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है।
पता लगाने का है ये तरीका
अगर किसी को गॉलब्लैडर कैंसर हो जाए तो कुछ तरीकों से इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। मेडिकल में ऐसे कई टेस्ट मौजूद हैं। कैंसर की स्थिति को जांचने के लिए पहले पेट का अल्ट्रासाउंड किया जाता है। अल्ट्रासाउंड किसी ऐसे द्रव्यमान का पता लगाता है जो पित्ताशय का कैंसर हो सकता है, तो सीटी स्कैन या एमआरआई जैसी इमेजिंग प्रक्रियाओं पर जाना होता है। ऐसे में सबसे पहले जरूरी है कि आप किसी डॉक्टर से जरूर सलाह लें। उन्हीं के दिशा-निर्देश पर आप इससे संबंधित किसी भी टेस्ट को कराएं।
उपचार है जरूरी
डॉ. मनीष शर्मा कहते हैं कि पित्ताशय के कैंसर के हर मामले से बचना संभव नहीं है फिर भी स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर, वजन नियंत्रित करके और उन बीमारियों का इलाज करके जोखिम को कम किया जा सकता है जो पित्ताशय की पथरी बनने की संभावना को बढ़ाते हैं। प्रारंभिक अवस्था में पित्ताशय के कैंसर का उपचार शल्य चिकित्सा द्वारा किया जाता है।
दरअसल, पित्ताशय का कैंसर एक असामान्य बीमारी है, लेकिन यह पीड़ित लोगों पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। शीघ्र पता लगाने और बेहतर परिणामों के लिए लक्षणों, जोखिम कारकों और उपचारों को समझना महत्वपूर्ण है। इस बीमारी से लड़ने और प्रभावित व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
क्या है वजह
डॉक्टरों के अनुसार गॉलब्लैडर कैंसर का मुख्य कारण गलत खान-पान है। फास्ट फूड, जंक फूड, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ व दूषित पानी पीना है। इसकी दूसरी वजह जेनेटिक्स भी है। अगर परिवार में पहले से किसी को गॉलब्लेडर का कैंसर है, तो आगे की जनरेशन को होने के चांस बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, मोटापा भी गॉलब्लैडर में कैंसर होने की एक वजह बनता है।
अगर लंबे समय तक गॉलब्लैडर में पथरी रह जाती है, तो कैंसर का रूप ले सकती है। एक स्टडी के मुताबिक, वसायुक्त आहार, तेल-मसालों का ज्यादा प्रयोग व कोलेस्ट्राॅल बढ़ने से पथरी होती है, जो बाद में कैंसर का कारण बनती है। कुछ लोगों को यह गलतफहमी होती है कि किडनी की तरह गॉलब्लैडर में भी कैल्शियम और मिनरल्स के जमाव की वजह से स्टोन बनता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। गॉलब्लैडर में कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा जमा होने पर यह समस्या होती है।
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