उल्लंघन के आरोप वाली रिपोर्ट के बाद अमेरिकी सीनेटर का भारतीय झींगा उद्योग पर कार्रवाई करने का आग्रह
पाकिस्तान आतंकवाद के भयानक खतरे का सामना कर रहा है: अमेरिकी अधिकारी
पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में जवाबदेही तय करने के लिए काम कर रहे हैं: बाइडन प्रशासन
वाशिंगटन
एक अमेरिकी सीनेटर ने आरोप लगाया है कि भारत से आयातित झींगा जबरन मजदूरी पर निर्भर करता है और 'अवैध एंटीबायोटिक दवाओं वाला होता है।'
सीनेटर ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि से भारतीय झींगा उद्योग के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
सीनेटर बिल कैसिडी ने यह अनुरोध भारत से अमेरिका में आयातित झींगा की सुरक्षा पर 'आउटलॉ ओशन प्रोजेक्ट' की रिपोर्ट जारी होने के बाद किया।
सीनेटर ने कहा, "भारतीय झींगा जबरन मजदूरी पर निर्भर है और अवैध एंटीबायोटिक दवाओं वाला है। यूएसटीआर को यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने की जरूरत है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को नुकसान न हो।"
अमेरिकी सीनेट में लुइसियाना का प्रतिनिधित्व करने वाले कैसिडी ने कहा, "भारत में चॉइस कैनिंग कंपनी के झींगा प्रसंस्करण कारखाने में उल्लंघनों को रेखांकित करने वाली आज की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारतीय झींगा लुइसियाना झींगा के साथ शेल्फ पर क्यों नहीं है।"
पिछले साल, कैसिडी ने लुइसियाना झींगा को भारत के झींगा से और अमेरिकी बाजारों में इसके निर्यात से बचाने के लिए दो विधेयक पेश किए थे।
आक्रामक कृषि विवादों और प्रवर्तन अधिनियम को प्राथमिकता देना और भारत झींगा शुल्क अधिनियम का उद्देश्य लुइसियाना कृषि उद्योग की रक्षा करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अमेरिकी जोशुआ फारिनेला आंध्र प्रदेश के अमलापुरम में एक कंपनी से अपनी नौकरी छोड़ने के बाद अमेरिका लौट आए और कई संघीय एजेंसियों को शिकायतें दर्ज कराईं।
इन लिखित शिकायतों में विभिन्न प्रकार के खाद्य सुरक्षा और श्रम उल्लंघनों का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि उनकी कंपनी ने जानबूझकर और अवैध रूप से संघीय कानून का उल्लंघन करते हुए प्रमुख अमेरिकी ब्रांडों को एंटीबायोटिक्स के लिए सकारात्मक परीक्षण किए गए झींगा का निर्यात किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चॉइस कैनिंग ने भी इस बात से दृढ़ता से इनकार किया है कि उसने कभी भी एंटीबायोटिक युक्त झींगा अमेरिका भेजा है।
पाकिस्तान आतंकवाद के भयानक खतरे का सामना कर रहा है: अमेरिकी अधिकारी
वाशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में लगातार हो रही आतंकवादी गतिविधियों के कारण पाकिस्तान आतंकवाद के भयानक खतरे का सामना कर रहा है।
पाकिस्तान में हाल ही में हुए चुनावों के संबंध में कांग्रेस की सुनवाई के दौरान, दक्षिण और मध्य एशिया के सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने सदन की विदेश मामलों की समिति के सदस्यों को बताया कि अफगानिस्तान में 40 वर्षों से संघर्ष चल रहा है और पाकिस्तान इसमें फंस गया है।
लू ने कहा कि अफगानिस्तान में संघर्ष की समाप्ति हम सभी को पाकिस्तान के साथ अपनी शर्तों पर संबंध बनाने का अवसर प्रदान करती है और हम ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, ”अब पाकिस्तान के साथ हमारा एक प्रमुख लक्ष्य है कि हमें पाकिस्तानी लोगों का समर्थन करना है क्योंकि वर्तमान में वे आतंकवाद के भयानक खतरे का सामना कर रहे हैं। कई सदस्यों ने इस पर चर्चा की है, लेकिन यह एक ऐसा देश है जहां लोगों को आतंकवाद के खतरे के तहत इस तरह से पीड़ित होना पड़ा है।”
लू ने कहा, ”पिछले तीन वर्षों में विशेषकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में आतंकी हमले तेजी के साथ बढ़े हैं। अफगान क्षेत्र से हमले किए जा रहे हैं।''
उन्होंने कहा, ”शनिवार को वहां तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा बड़ा आतंकी हमला किया गया जिसमें सात पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई। हम अफगान तालिबान से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि उसके क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी समूहों के लिए मंच के रूप में नहीं किया जाए।’
अफगानिस्तान की सीमा से लगे उत्तरी वजीरिस्तान के अशांत आदिवासी जिले में शनिवार को एक सुरक्षा जांच चौकी पर छह आतंकवादियों द्वारा किए गए कई आत्मघाती हमलों में पांच सैनिकों के साथ एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक कैप्टन की मौत हो गई। वहीं, इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने मीर अली इलाके में चेक पोस्ट पर हमला करने वाले सभी छह आतंकवादियों को मार गिराया है।
पाकिस्तान ने सोमवार को जवाबी कार्रवाई करते हुए तालिबान शासित अफगानिस्तान में प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े आतंकवादियों पर हवाई हमले किए।
लू ने आगे कहा कि पाकिस्तान के लिए आर्थिक स्थिरता पर ध्यान देना भी जरुरी है।
पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में जवाबदेही तय करने के लिए काम कर रहे हैं: बाइडन प्रशासन
वाशिंगटन,
अमेरिका अपनी धरती पर खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने में शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए भारत सरकार के साथ काम कर रहा है। बाइडन प्रशासन ने यह जानकारी दी।
पिछले साल नवंबर में संघीय अभियोजकों ने पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में शामिल होने का आरोप भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर लगाया गया था। पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है।
अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया था कि गुप्ता भारत सरकार के एक कर्मी के साथ काम कर रहा था और न्यूयार्क शहर में रहने वाले पन्नू की हत्या करने के लिए एक कातिल को एक लाख अमेरिकी डॉलर देने पर राज़ी हुआ था। आरोपों की तफ्तीश के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है।
कांग्रेस (संसद) की एक सुनवाई के दौरान दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने संसद की विदेश मामलों की समिति के सदस्यों से बुधवार को कहा, "यह अमेरिका और भारत के बीच एक गंभीर मुद्दा है। न्याय विभाग ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार में काम करने वाले किसी व्यक्ति के इशारे पर एक भारतीय नागरिक ने अमेरिकी धरती पर एक अमेरिकी नागरिक की हत्या का प्रयास किया है।" उन्होंने कहा, "हमने प्रशासन में इसे गंभीरता से लिया है और इसे भारत के साथ उच्चतम स्तर पर उठाया है।’
लू ने कहा, "हम इस समय भारत के साथ काम कर रहे हैं ताकि भारत को इस भयावह अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। भारत ने स्वयं घोषणा की है कि उन्होंने इस मामले को देखने के लिए एक जांच समिति बनाई है।" उन्होंने कहा, "हमने उनसे जल्दी और पारदर्शी तरीके से काम करने के लिए कहा है ताकि इंसाफ सुनिश्चित हो सके।"
लू इस सुनवाई में मिनेसोटा से कांग्रेस के सदस्य डीन फिलिप्स के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। फिलिप्स ने पूछा था कि रूस में एलेक्सी नवलनी की हत्या के बाद 500 से ज्यादा लोगों पर जिस तरह से प्रतिबंध लगाए गए थे, क्या वैसे ही प्रतिबंध पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल लोगों पर भी लगाने पर विचार किया जा रहा है।
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