आदिवासी संस्कृति को गोंडी संस्कृति कहते हैं। इसलिए तो गोंडी संस्कृति विश्व संस्कृति की जननी है।
मंडला
मंडला जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र विकास खण्ड मोहगांव अन्तर्गत ग्राम पंचायत सुड़गांव में आज भी संरक्षित है शैला ,रीना,कर्मा, दादरिया, आषिस नृत्य की प्रस्तुति गांव के महिला एवं पुरुष वर्ग ने दी। बताया गया कि सुड़गांव ग्राम वासियों अपनी पुरखों की संस्कृति को संरक्षित रखते हुए शैला उत्सव मनाया चार दिन चले इस आयोजन का पुरे गांव के लोगों ने आनंद भी उठाया l
30 जनवरी को कार्यक्रम के समापन पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए l ग्रामीणों का कहना है कि शाला महोत्सव एक प्रकार से गांव की खुशहाली के लिए आयोजन है l खरीफ की फसल आने एवं रबी फसल की बोवनी से फुर्सत होने के बाद वर्षों से ग्रामीणों के द्वारा खुशियां मनाई जाती रही है l
शैला का मुख्य कारण है धरती दाई से शेय लेते है
जैसे खेतों को तैयार करना बीज डालने के लिए खेत की खुर्रा बखरौनी धान की बोनी गुड़ाई नींदाई कटाई खलिहान में लाने के बाद गाहनी करने के लिए बैलों के माध्यम से किया जाता है गायनी होने के बाद उसे सुपा से उड़ाया जाता है अनाज को मनुष्य अपने सिर पर लेकर घर में आते हैं तो घर की दाई कांसे की लोटा एक कांसे की थाली में पैर धुलाने के बाद कोठी में अनाज को रख दिया जाता है जब खलिहान से अनाज पुरा उठा लेते है तो एक टुकना में अनाज दीया जलाकर घर पर लाते हैं शैय साल भर के लिए अपनी अनाज को सुरक्षित मिट्टी से बना बर्तन पर रखते हैं इन सारी चीजों को देखते हुए आदिवासी अपने रीति रिवाज खुशी हाली से शैला का त्यौहार मनाते हैं l
शैला नृत्य आयोजन किया
रुगरुगी चंचार,गण फर्रा चंचार,भटोनी चंचार,पीरी भुंजोरी चंचार,लोहकी शैला,सैय शैला,बेंवार शैला 15 फिट, नागिन शैला उक्त परंपरा को जीवित रखते हुए ग्राम पंचायत सुड़गांव में आदिवासी समाज के द्वारा शैला उत्सव मनाया गया जिसमें मुख्य अतिथि जनपद अध्यक्ष श्री गनपत भवेदी ग्राम के मांदर वादक दमरी लाल परते, शीतल धुर्वे, प्रेम सिंह सैयाम,भोपत परते,टिंमकी वादक धन लाल सैयाम, अभय सिंह सैयाम , कोदू लाल परते सुखदीन मलगाम, मंगल सिंह परते, राम करन सैयाम, जयपाल मार्को, संता प्रसाद सैयाम, लखन सिंह सैयाम, द्रुपाल सिंह परते, हनुमान आर्मो, सीता राम सैयाम, गनेश धुर्वे, अर्जुन धुर्वे, चौधरी सैयाम, शिव प्रसाद परते, परमा सिंह परते महिला रीना नृत्य श्रीमती राम्हीया बाई,मुल्की सैयाम कांति मार्को, श्याम बाई,दियालो बाई हीरो बाई मरावी, ओझे बाई सैयाम, बिराजो पुषाम,लमी मलगाम,कोग्दे कुड़ापे एवं समस्त ग्रामीण जन उपस्थित हुए l
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