( अमिताभ पाण्डेय)
भोपाल। प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों की नजर इन दिनों एक नवगठित कर्मचारी संगठन की सक्रियता पर लगी हुई है। हाल ही में पंजीकृत हुए ग्रामीण आजीविका संविदा कर्मचारी संघ मध्य प्रदेश में 2 करोड़ से ज्यादा वोट बैंक को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
अभी तक छुटपुट संगठन के साथ जुड़कर अपनी मांग के लिए संघर्षरत , आजीविका मिशन के कर्मचारियों ने अब स्वयं का संगठन खड़ा कर निर्णायक लड़ाई की तैयारी कर ली है। 52 ज़िलों के ढ़ाई हजार कर्मचारियों ने गत दिनों भोपाल में बैठक कर नए संगठन का निर्माण किया। इसमें होशंगाबाद के जिला परियोजना प्रबंधक आशीष शर्मा को अपना अध्यक्ष चुनकर, नई कार्यकारिणी का गठन किया है। इस संगठन को राज्य से लेकर ब्लॉक तक के सभी कर्मचारियों का समर्थ प्राप्त है। सभी कर्मचारियों ने तय किया है कि जिस तरह जन अभियान परिषद के कर्मचारियों को सरकार ने नियमित किया है, उसी तरह आजीविका मिशन भी नियमित होने की दक्षता रखता है। इसी मांग को लक्षित कर संगठन ने अपनी गतिविधियां तेज की है।
संगठन की ताकत 55 लाख महिलाएं
उल्लेखनीय कि आजीविका मिशन अंतर्गत प्रदेश में साढ़े चार लाख स्वयं सहायता समूह से 55 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई है। इनका नेतृत्व करने वाले कर्मचारियों का यह संगठन, महिलाओं सहित उनके परिवारजनों के वोट प्रभावित करने की क्षमता रखता है। संगठन की इस ताकत का अंदाजा, दोनों पार्टियों को बखूबी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री इस बात से पूरी तरह परिचित है कि जिलों में लगने वाली भीड़ आजीविका मिशन के अमले द्वारा ही जुटाई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि, आजीविका मिशन एकमात्र ऐसी योजना है, जिसमें कर्मचारियों का हितग्राहियों से लगातार संपर्क रहता है। इस कारण महिलाओं में कर्मचारियों की खासी पकड़ है। महिलाओं के साथ हर परिवार में 4 से 5 वोट जुड़े होने के कारण आजीविका मिशन के कर्मी प्रदेश की दिशा बदलने की क्षमता रखते हैं।ऐसे में परिवार के वोट को प्रभावित करने वाला कर्मचारियों का यह संगठन सत्ता के ऊंट को किसी भी करवट बैठा सकता है। श्योपुर में प्रधानमंत्री, भोपाल में राष्ट्रपति, देवास में गडकरी जी, राजगढ़ में रक्षा मंत्री के समक्ष मुख्यमंत्री ने जिस जनसैलाब को प्रदर्शित किया है उसके पीछे पूरी ताकत आजीविका मिशन की ही रही है। मुख्यमंत्री जी को यह भी पता है कि भारी जनसैलाब के लिये चाहे वह कलेक्टर की पीठ थपथपा दे, पर असली ताकत तो आजीविका मिशन के कर्मचारियों की ही रहती है। प्रदेश में सैकड़ों योजनाओं के चलाने के बाद भी किसी भी योजना से कोई हितग्राही संतुष्ट नहीं पाया जाता है। लेकिन मुख्यमंत्री जी के लगातार संवाद कार्यक्रम में हजारों समूह महिलाएं जिस तरह का संतोष व्यक्त कर रही है , वह मिशन कर्मियों की ईमानदार कार्यप्रणाली का ही परिणाम है।
इस मिशन में कार्यरत सभी संविदा कर्मियों ने पहली बार ग्रामीण आजीविका संघ मध्य प्रदेश का गठन कर अपनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है।
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संगठन को अपने पक्ष में करने हेतु कांग्रेस सतत संपर्क बनाए हुए हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा संगठन के पदाधिकारियों की मुख्यमंत्री से बैठक कराने का आश्वासन दिया है। संगठन सिर्फ आजीविका मिशन कर्मियों के नियमितीकरण पर अडिग है।
आजीविका मिशन के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर दूसरे कर्मचारी संगठन के साथ जुड़कर लंबे समय से संघर्षरत है। आजीविका मिशन में भी कई छोटे-छोटे संगठन बनते और बिगड़ते रहे। जिसके सार्थक परिणाम न आने के कारण, अब कर्मचारियों ने अपनी लड़ाई अपने बैनर के तले लड़ने की शपथ ली है। जन अभियान परिषद की तरह अपनी ताकत का एहसास कराते हुए स्वयं के नियमितीकरण हेतु आजीविका मिशन कर्मी निर्णायक तैयारी कर चुके हैं।
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