भोपाल
वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है और शिक्षा विभाग के अफसर जिलों में आवंटित करोड़ों रुपए खर्च नहीं कर पाए है। सभी को निर्देशित किया गया है कि या तो राशि खर्च करे वर्ना सरेण्डर करे। खर्च नहीं करने वाले जिलों में अगले साल दिक्कत आना तय है क्योंकि इस साल के खर्च के हिसाब से ही अगले साल बजट मिलना है।
संचालक ने जिलों के अफसरों से कहा है कि कई जिलों में बजट बचा हुआ है यदि ये बजट खर्च नहीं किया जाएगा तब तक आगे का बजट नहीं मिलेगा। सभी जिलों का बजट बचा हुआ है इसे कन्ज्युम कर ले। नहीं करना है तो सरेण्डर कर ले। बिल लगाए अथवा सरेण्डर करे। अपर संचालक ने सभी संयुक्त संचालकों से कहना है कि जो उैसा उनके डीईओ के पास बचा हुआ है उसमें से जो सेलरी देना है उसका भुगतान जारी कर दे। इन जिलों ने किए लाखों रुपए सरेण्डर-आगर मालवा में 7 लाख 72 हजार, अलीराजपुर में एक लाख पच्चीस हजार, अनूपपुर में आठ हजार, खरगौन ने 1 लाख 83 हजार।
ये जिले न खर्च कर पाए न सरेण्डर किया
बालाघाट में 35 हजार 211, बैतूल में 1 लाख 66 हजार, भिंड में एक लाख 51 हजार, बुरहानपुर में 8 हजार 229, छतरपुर में 64 हजार, छिंदवाड़ा में पांच लाख, दमोह 2 लाख 99 हजार, दतिया में 56 हजार 828, देवास में 2 लाखच 35 हजार, धार में 5 लाख 57 हजार, डिंडौरी में 90 हजार 587 इंदौर में 5 लाख 35 हजार, जबलपुर में 2लाख 5 हजार, झाबुआ में 95 हजार 845, खंडवा में 2 लाख 5 हजार,खरगौन एक लाख 5 हजार, मंडला में 47 हजार, मंदसौर में 5 लाख 54 हजार, मुरैना में एक लाख 70 हजार, नरसिंहपुर में 2 लाख 49 हजार, निवाड़ी में 3 लाख 83 हजार, पन्ना में 31 हजार, रायसेन में 2 लाख 55 हजार, राजगढ़ में 6 लाख 52 हजार, रतलाम में 53 हजार 328, रीवा में 51 हजार 538, सागर में 13 लाख 43 हजार, सतना में 8 लाख 57 हजार, सयीहोर में दो लाख 30 हजार, सिवनी में 90 हजार, शिवपुरी में 8 लाख 80 हजार, शाजापुर में 4 लाख 3 हजार, श्योपुर में 3 लाख 1 हजार, सीधी में 4 लाख 22 हजार, सिंगरौली में 1 लाख 74 हजार, टीकमगढ़ में बारह लाख रुपए बचे है। वित्त विभाग पिछले साल के खर्च को देखकर पैसा देता है। यदि पैसा खर्च नहीं किया गया तो अगले सत्र में बड़ी परेशानी आ सकती है।
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