सत्ता पक्ष ही योजना के खिलाफ खड़ा हुआ
मंडला:
संपूर्ण मध्य प्रदेश में वर्तमान सरकार की अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन हो रहा है, उन्हें में से एक है धारणाधिकार अधिनियम 2020 जो नगरी क्षेत्र में वर्षों से व्यवसाय कर रहे एवं रह रहे लोगों को स्थाई पट्टा तथा भू अधिकार पत्र प्रदाय करता है, इस संपूर्ण प्रक्रिया में नगरीय निकाय का अनापत्ति प्रमाण पत्र का भी एक हिस्सा होता है। मध्य प्रदेश के काफी सारे निकायों ने अपने क्षेत्र में जांच में पात्र पाए गए व्यवसाईयों एवं आवासीय भूमि धारकों को सहयोग कर पट्टा प्रदान किया है। इसी अधिनियम में मध्य प्रदेश शासन ने गरीब व्यापारियों एवं आमजन की सुविधा के लिए नया संशोधन 31 मार्च 2023 को लाया, जिसके अनुसार अब 2020 के पूर्व से शासकीय नजूल भूमि में काबिज व्यवसायी अथवा आवासीय आवेदक इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
संपूर्ण मध्य प्रदेश में काफी लाभार्थी इस योजना से लाभान्वित हुए हैं।
ठीक इसके विपरीत जब 2022 में धारणा अधिकार की आवेदन प्रक्रिया नगर परिषद निवास में प्रारंभ हुई तो नगरीय निकाय नगर परिषद निवास ने उक्त आवेदनों पर यह कहकर आपत्ति लगा दी कि उक्त भूमि नगर परिषद की परियोजना हेतु प्रस्तावित है। किंतु व्यापारियों ने एकजुट होकर जनसुनवाई में तत्कालीन कलेक्टर मंडला एवं अपर कलेक्टर मीना मसराम के समक्ष अपनी बात रखी, जिस पर अपर कलेक्टर के निर्देश पर नगर परिषद निवास एवं राजस्व विभाग की संयुक्त टीम के द्वारा जांच की गई जिस पर नगर परिषद की आपत्ति निराधार हुई उसके बाद नगर परिषद निवास ने प्रथम 10 एनओसी जारी की जिस पर आवेदकों को पट्टे, तथा इसके बाद नगर परिषद निवास 12 अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर चुका है।
लेकिन नगर परिषद निवास के कुछ पार्षदों को यह बात हजम नहीं हुई कि शासन की योजना का लाभ लाभार्थी को मिल पाए उन्होंने आगामी 65 प्रकरणों पर पुनः यह कहते हुए रोक लगा दी कि उक्त भूमि नगर परिषद की परियोजना हेतु प्रस्तावित है, साथ ही नगर परिषद निवास ने नगर परिषद सीमा के अंतर्गत संपूर्ण नजूल भूमि की मांग की है जिस पर नगर परिषद द्वारा लेख है कि नगर परिषद निवास के अंतर्गत समस्त भूमि उन्हें प्रदान की जाए जिससे वह उक्त भूखंडों पर नीलामी कर दुकान बनाकर अपने राजस्व में वृद्धि कर सकें। इसके लिए भाजपा के वरिष्ठ निर्वाचित जनप्रतिनिधि को गुमराह कर उनसे भी दबाव प्रशासनिक अधिकारियों पर डलवाया गया।
उल्लेखनीय है की नगर परिषद ने जिस भूमि पर आपत्ति लगाई है वह आज तक नगर परिषद निवास को हस्तांतरित नहीं हुई एवं आवेदकों में ऐसे भी लोग हैं जो 30 वर्षों से ऊपर से उक्त भूखंडों पर काबिज है। कुछ आवेदक पूर्व में नजूल निवर्तन अधिनियम के तहत प्राप्त पट्टो पर भी काबिज है। साथ ही नगर परिषद निवास जिस भूमि को विकास परियोजना के अंतर्गत आवश्यक बता रही है इस भूखंड 352/1 में भूखंड के बीचो-बीच नगर परिषद निवास के सीएमओ द्वारा मुख्यमंत्री आवास योजना अंतर्गत 750 वर्ग फुट का आवासीय पट्टा वर्ष 2013 में दिया जा चुका है तब भी भाजपा के निर्वाचित प्रतिनिधि नगर परिषद निवास में थे। विरोध करने वाले कुछ स्थानीय प्रतिनिधि जिन्होंने दूसरों से दुकान खरीद कर अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए हुए हैं इस अधिनियम से भयभीत है एवं यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि उक्त पट्टे में विभाग एवं कुछ लोग पैसा ले रहे हैं जबकि वह पैसा नियम अनुसार दिए जाने वाला राजस्व है।
नगर परिषद निवास द्वारा पूर्व में 22 दुकानो की खसरा नंबर 352 /1 में नीलामी की हुई है जिसमें उन्होंने नजूल निवर्तन अधिनियम 2020 का पालन नहीं किया। उक्त भूखंड आज भी नजूल दर्ज है एवं नगर परिषद निवास के नाम नहीं है। इस संपूर्ण प्रकरण में राजस्व विभाग ने इतने व्यवस्थित तरीके से जांच की है कि जो आवेदक अपात्र हैं उसके आवेदन विभाग ने निरस्त तो किये है साथ में नगर परिषद से नियम पूर्वक आपत्ति भी ली है। इस संपूर्ण प्रक्रिया में जनहित में सक्रिय जिले की कलेक्टर डॉ सिडाना के कुशल मार्गदर्शन में राजस्व विभाग के समस्त अधिकारियों ने नियम पूर्वक कार्य किया है। परेशानी सिर्फ नगर परिषद के कुछ लोगों को हुई है। संपूर्ण मध्य प्रदेश में यह पहली घटना है कि मध्य प्रदेश शासन की किसी योजना का सत्ता के लोगों के द्वारा ही विरोध किया गया। उक्त घटना से समस्त व्यापारियों में आक्रोश है जिसका परिणाम आने वाली विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है।
व्यापारियों ने बताया की वर्तमान स्थिति में नगर पंचायत राजस्व अंतर्गत न आने वाली भूमि भी राजस्व की भूमि नगर पंचायत अपने कब्जे में लेने के लिए व्यापारियों को मिलने वाले पट्टे पर आपत्ति लगा रही है। जिससे नाराज व्यापारीवर्ग ने बैठक कर नारे बाजी की। और निवास बस स्टैंड में व्यापारियों ने खुली चुनौती देते हुए नारा लगाया,जो व्यापारी हित की बात करेगा वही निवास में राज करेगा। बैठक समापन के समय व्यापारियों ने निर्णय लिया की अगर व्यापारियों के अहित करने शासन – प्रशासन आता है तो त्योहार के बाद समस्त व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर रोड में धरना कर उग्र आंदोलन करेंगे जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी व्यापारियो को मिलने वाले पट्टे पर रोक लगाने वाले के ऊपर जायेगी।
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