भोपाल
राज्य सरकार न्यायालयों में चलने वाले भूमि और भवन के विवादों के मामले में अब विवादित भूमि का केस न्यायालय में रजिस्टर होते ही उसे खसरे में दर्ज करने की कार्यवाही कर सकती है। ऐसा करके लोगों को विवादित भूमि के सौदे करने से बचने और ऐसे मामलों के निर्णय के इंतजार करने का सुविधा दी जा सकती है।
इस व्यवस्था को राजस्व न्यायालयों के जरिये प्रदेश के सिविल न्यायालयों में भी लागू करने के सुझाव राज्य भूमि सुधार आयोग ने राज्य शासन को दिए हैं। अगर सरकार इसे मंजूर करती है तो जल्द ही इसको लेकर कैबिनेट और विधानसभा में प्रस्ताव लाए जाकर उसे मंजूरी दी जाएगी।
भूमि सुधार आयोग ने राज्य शासन को दिए सुझाव में कहा है कि यदि राजस्व न्यायालय में भूमि से संबंधित विवाद होने पर मामले को कोर्ट में रजिस्टर करते ही भू अभिलेख में प्रकरण क्रमांक और प्रारंभ दिनांक तथा संबंधित राजस्व न्यायालय के नाम की जानकारी दर्ज कर दी जाए तो इस प्रकार के भूमि प्रकरणों में मालिकाना हक ट्रांसफर की जानकारी लोगों को आसानी से पता चल सकेगी।
प्रदेश में सिविल न्यायालयों में व्यापक पैमाने पर कम्प्यूटरीकरण हुआ है और उच्च न्यायालय से समन्वय कर इस प्रकार की व्यवस्था भूमि से संबंधित सिविल मामलों में लागू की जा सकती है। इससे कोई भी व्यक्ति जबरन नए विवादों में उलझने से बच सकेगा।
आयोग ने कहा है कि किसी राजस्व न्यायालय में मूल आवेदन या अपील या पुनरीक्षण या पुनर्विलोकन (निगरानी) का आवेदन या कोई कार्यवाही चाहे वह भू राजस्व संहिता के अधीन आरसीएमएस से दर्ज हो या किसी अन्य रूप में दर्ज हो, उसे भू अभिलेख के खसरा कालम 12 के मद 3 में दर्ज किया जा सकता है।
ऐसे हो सकता है बदलाव
आयोग ने अनुशंसा में कहा है कि आरसीएमएस में दर्ज किए जाने वाले केस की एंट्री वेब जीआईएस के अंतर्गत कालम नम्बर 12 या इसके लिए अलग से बनाए जा सकने वाले कॉलम में प्रकरण क्रमांक, पंजीयन दिनांक, न्यायालय के नाम से दर्ज होना चाहिए। जब केस का निराकरण हो जाए तो उसकी भी एंट्री की व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसी ही स्थिति सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में दर्ज होने वाले मामलों में भी लागू की जा सकती है।
आयोग ने कहा है कि अगर किसी प्रापर्टी की बिक्री किए जाने, बंधक रखने, दान पत्र में शामिल करने या अन्य रूप में रजिस्ट्री कराई जाती है तो उसे भी खसरे में इसी कालम में दर्ज किए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए आईजी पंजीयन की ओर से निर्देश जारी किए जाने चाहिए। इसके लिए कम्प्यूटर सिस्टम में आवश्यक व्यवस्ता करने के उपरांत राज्य सरकार फील्ड के अफसरों को कार्यवाही के निर्देश जारी कर सकती है।
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