भोपाल
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यकाल में सौ रुपए में सौ यूनिट बिजली देने की इंदिरा गृह ज्योति योजना का नाम जरूर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार ने अटल गृह ज्योति योजना कर दिया लेकिन इसका लाभ पाने वालों की संख्या वे कम नहीं कर पाए उल्टे हितग्राहियों की संख्या भी बढ़ी और इस पर खर्च होने वाली सबसिडी की राशि भी बढ़ गई।
कमलनाथ सरकार जाने के बाद जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान 23 मार्च 2020 में फिर से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब यह माना जा रहा था कि जय किसान कर्ज माफी योजना की तरह अब इंदिरा गृह ज्योति योजना में भी कटौती की जाएगी। इस योजना से आयकरदाता बाहर होंगे।
आमजन को कम बिजली की खपत करने पर भी अब योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। लेकिन योजना इतनी अधिक पापुलर हो गई थी कि उसे बंद करना या उसमें कटौती करना आसान नहीं था। शिवराज सरकार ने इस योजना का नाम जरूर बदलकर अटल गृह ज्योति योजना कर दिया लेकिन हितग्राहियों की संख्या वे कम नहीं कर पाए।
फरवरी 2020 में जब कमलनाथ की सरकार थी तब उस माह मेें मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत तीस लाख 33 हजार 998 हितग्राही इसका लाभ पा रहे थे और उनकी सबसिडी के रुप में राज्य सरकार 11 हजार 780 लाख रुपए खर्च कर रही थी। और जब मार्च में कांग्रेस सरकार जा रही थी और भाजपा सरकार बन रही थी उस महीने में हितग्राहियों की संख्या घटकर 29 लाख 67 हजार 815 हो गई।
नई सरकार का जोर इस योजना पर खर्च हो रही भारी भरकम सबसिडी की राशि घटाने पर था। पहले इससे सरकारी कर्मचारियों, आयकरदाताओं को बाहर रखने पर विचार विमर्श हुआ लेकिन जनविरोध की आशंकाओं के मद्देनजर यह कदम नहंी उठाया गया। उलटे अप्रैल 2020 में हितग्राहियों की संख्या 29 लाख 48 हजार 385 हो गई।
इसके बाद यह संख्या बढ़ती-घटती रही और दिसंबर 2020 में तो योजना के हितग्राही तीस लाख को पार कर गए। इसके बाद फरवसरी 2021 में इस योजना के तहत लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों की संख्या कमलनाथ सरकार के कार्यकाल से भी आगे निकल गई।
एक साल में यह आया अंतर
मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत अप्रैल 2019 सो मार्च 2020 तक इस योजना के तहत 2 करोड़ 73 लाख 43 हजार 265 हितग्राहियों ने योजना का लाभ लिया और योजना के अंतर्गत 1128 करोड़ 13 लाख रुपए की सबसिडी राज्य सरकार ने बिजली कंपनी को दी।
वहीं शिवराज सरकार बनने के बाद अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक इस योजना के तहत 3 करोड़ 42 लाख 35 हजार 779 हितग्राहियों को इस योजना का लाभ मिला औरकुल 1491 करोड़ 79 लाख रुपए की सबसिडी राज्य सरकार ने दी। इस तरह भाजपा सरकार में इस योजना का लाभ पाने वाले और सबसिडी का खर्च दोनो ही बढ़ गए।
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