भोपाल
आज मध्यप्रदेश हर्षित है, उत्साहित है। देश के लोकप्रिय और यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी झाबुआ में आयोजित जन जातीय सम्मेलन को संबोधित करने पधार रहे हैं। आज का दिन विशिष्ट है। आज पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि है जो समर्पण दिवस के रूप में मनाई जा रही है। उनका एकात्म मानववाद का दर्शन ही हमारे लिए पाथेय है। समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए समर्पित होकर समाज और सरकार को कार्य करने के लिए प्रेरित करने वाले पं. दीनदयाल जी उपाध्याय का पूरा जीवन समर्पण का प्रतीक था।
यह ऐतिहासिक संयोग है कि आज के ही दिन संथाल परगने में क्रांतिकारी जनजातीय नायक वीर तिलका मांझी का जन्म हुआ था। जनजातीय समुदाय के प्रति प्रधानमंत्री जी का स्नेह, समर्पण और सम्मान हम सब जानते हैं। उन्होंने हमारे आग्रह को स्वीकार किया और झाबुआ आने पर सहमति दी। झाबुआ साधारण क्षेत्र नहीं है। पराधीनता का सल्तनत काल हो या अंग्रेजीराज, इस क्षेत्र के वनवासी बंधुओं ने निरंतर संघर्ष भी किया औरयहां आने वाले प्रत्येक क्रांतिवीर को संरक्षण भी दिया। यह क्षेत्र क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद की जन्मभूमि रही है। आज प्रधानमंत्री जी के झाबुआ आगमन परमध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता की ओर से मैं उनकाहृदय से स्वागत करता हूं।
प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि जनजातीय समाज के जल, जंगल और जमीन पर आंच न आये तथा उनके कल्याण के लिए हर संभव प्रयास किये जाये। उन्होंने देश के 11 करोड़ से अधिक जनजातीय बंधुओं के हितों को संरक्षण प्रदान किया है। इसीलिए आज जनजातीय समाज स्वयं को सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर रहा है। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने विकसित भारत के चार "अमृत स्तंभ"GYAN अर्थात् G से गरीब, Y से युवा A से अन्नदाता और N से नारी पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह विकसित भारत के लिए प्रधानमंत्री जी का ज्ञान का सम्मान मंत्र है। प्रधानमंत्री जी के जनजातीय कल्याण के संकल्प की सिद्धि और विकसित भारत के संकल्प की पूर्ति के लिए मध्यप्रदेश सरकार निरंतर प्रयासरत है।
वर्ष 2047 तक भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ विगत दिनों निकाली गई "विकसित भारत संकल्प यात्रा" के सुखद परिणाम सामने आए हैं।यात्रा के दौरान केन्द्र और राज्यकी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के अंतर्गत 50 लाख से अधिक लोगों को लाभान्वित किया गया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास के प्रतिमान स्थापित कर रहा है। हम रामराज्य की परिकल्पना और विकसित भारत निर्माण दोनों को ही आकार लेते देख रहे हैं। चित्रकूट तथा ओरछा सहित प्रदेश की सीमाओं में संपूर्ण रामवनगमन पथ के सर्वांगीण विकास के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।प्रधानमंत्री जी ने"सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास" नारा दिया है। उनके मार्गदर्शन में हर गरीब और वंचित को सुविधाएं पहुंचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। सब मिलकर सबके लिये कार्य करें, उनके इसी मंत्र को आत्मसात कर मध्यप्रदेश में हम काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शनमें मध्यप्रदेश में केन-बेतवा परियोजना की तरह पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की स्वीकृति दी गई है, जो प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जनजातीय वर्ग के विकास के लिए अनेक पहल की हैं। उन्होंने श्रीअन्न के उपयोग पर जोर दिया, इससे समूची दुनिया में श्रीअन्न का प्रचलन बढ़ा। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से हमने श्रीअन्न के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना शुरू की। इसमें कोदो-कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा आदि के उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति किलो 10 रुपए की अतिरिक्त राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाएगी। प्रदेश के 14 जनजातीय बाहुल्य जिलों में जहां बैगा, भारिया और सहरिया विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग निवासरत हैं, वहां आहार अनुदान योजना से लगभग 29 करोड़ 11 लाख रुपए का लाभ दिया है।
देश की 75 विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) योजना आरंभ की है। इससे बैगा, भारिया एवं सहरिया जनजातियों के जीवन में बदलाव लाने का कार्य होगा। प्रदेश के 89 जनजातीय विकासखण्डों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ग्राम स्तर तक राशन पहुंचाने के लिए "मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम" योजना लागू की गई है। सिकलसेल रोग की रोकथाम के लिए हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन लागू कर सिकल सेल स्क्रीनिंग, रोकथाम, प्रबंधन, जैनेटिक काउंसलिंग एवं जन-जागरुकता का कार्य कियागया है।
प्रधानमंत्री जी ने जनजातियों के स्वत्व, स्वाभिमान और स्वराज रक्षक भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती 15 नवंबर को "जनजातीय गौरव दिवस"के रूप में घोषित कर जनजातीय समुदाय का मान बढ़ाया है। मध्यप्रदेश में जनजातीय जननायकों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाने के लिए स्मारक और संग्रहालय बन रहे हैं। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति, पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखा गया है। इन्दौर में भंवरकुआं चौराहे पर टंट्या मामा की मूर्ति स्थापित की गई। साथ ही इस चौराहे का नामकरण भी टंट्या मामा के नाम पर किया गया। छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय का नामकरण राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय और मंडला मेडिकल कॉलेज का नामकरण राजा राजा हृदय शाहमेडिकल कॉलेज किया गया है। यह नामकरण स्वाधीनता औरजनजातीय चेतना का प्रमाण है। इसी क्रम मेंसंत शिरोमणि पूज्य रविदास जी की पावन स्मृति में प्रदेश के 30 अनुसूचित जाति बाहुल्य जिलों में संत रविदास स्मारक-सह-सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य जारी है। जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिये समर्पित प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और प्रेरणा से मध्यप्रदेश में जनजातियों के उत्थान के लिये कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं। नई शिक्षा नीति लागू करने में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी रहा है। जनजातीय युवाओं को स्व-रोज़गार के नए अवसर उपलब्ध करवाने के लिये प्रदेश में भगवान बिरसा मुण्डा स्व-रोज़गार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना आदि लागू की गई है। इसी के साथ प्रदेश में जनजातीय युवाओं के कौशल विकास के लिए निःशुल्क आवासीय प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था है।
प्रदेश में गौण वनोपजों के प्रबंधन का अधिकार अब ग्राम सभा को सौंपा गया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय 3 हजार रुपए प्रति बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति बोरा किया गया। इससे 35 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को लगभग 165 करोड़ रुपए का लाभ होगा। जनजातीय बहुल क्षेत्रों में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए "देवारण्य योजना"लागू की गई है। पेसा अधिनियम से प्रदेश में जल, जंगल, जमीन के अधिकार देने के लिए सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से मध्यप्रदेश सरकार जो निर्णय ले रही है,वह भविष्य के संकल्पों को पूरा करने के लिए मोदी जी की गारंटी है। श्री मोदी जी के मन में मध्यप्रदेश है, इसीलिए मुझे पूरी उम्मीद है कि जब भारत विश्व का विकसित राष्ट्र बनेगा तब मध्यप्रदेश भारत के प्रांतों में अग्रणी होगा। आइए, अमृतकाल में अमृतपथ पर आगे बढ़ते हुए हम सभी विकसित भारत निर्माण के लिए विकसित मध्यप्रदेश निर्माण का संकल्प लें।
(लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)
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