भोपाल
देश में सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश के पुलिसकर्मी और अफसर आरोपों से बरी होते हैं। यह किसी का आरोप नहीं बल्कि एनसीआरबी के आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है। आंकड़ों को देखें तो पिछले दो साल में पुलिसकर्मियों और अफसरों को बचाने में मध्यप्रदेश पुलिस नंबर-वन बनी हुई है। यह आंकडे सामने आने के बाद कहा जा रहा है कि प्रदेश पुलिस अपनों को बचाने के लिए जानबूझ कर ऐसी जांच करती है जो अदालत में टिक न पाए। इसके कारण गंभीर आरोपों में भी पुलिसकर्मी बरी हो जाते हैं।
मध्य प्रदेश पुलिस का एक नया चेहरा सामने आया है। जिसमें वह आम अपने महकमें के साथियों के खिलाफ जांच इतनी लचर तरह से करती है कि अधिकांश पुलिसकर्मी और अफसर कई गंभीर आरोपों से बरी हो जाते हैं। पिछले दो साल से यह संख्या देश में नंबर एक पर है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी होने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या देश भर के मुकाबले में मध्य प्रदेश में 70 प्रतिशत के करीब होती है, बाकी के तीस प्रतिशत में दूसरे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिसकर्मी बरी होते हैं। मध्य प्रदेश में अपने महकमे के साथी अपराधी और अन्य अपराधियों के बीच यह भेदभाव की कहानी एनसीआरबी की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं। देश में पुलिसकर्मियों के खिलाफ जो मामले दर्ज हो रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा बरी या केस का डिपोर्ज आॅफ मध्य प्रदेश में ही सबसे ज्यादा हो रहा है।
यहां पर पिछले दो साल का औसत 70 फीसदी से ऊपर है। वर्ष 2022 में जहां देश भर के कुल बरी पुलिसकर्मियों में से 69 प्रतिशत आरोपी मध्य प्रदेश के बरी हुए। जबकि वर्ष 2021 में यह प्रतिशत 75 तक था। यानि उस साल देश के बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सिर्फ 25 प्रतिशत ही पुलिसकर्मी अपने अपराधों से बरी हुई थे।
पिछले साल का लेखाजोखा
पिछले साल मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 48 मामले दर्ज हुए थे। इस साल 28 मामलों में चार्जशीट पेश की गई। जबकि 27 मामलों में रिपोर्ट सौंपी गई। वहीं इस साल तीस पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए, 26 आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट प्रस्तुत की गई। एक का केस वापस लिया गया, जबकि 193 बरी हो गए या उनके खिलाफ केस डिस्पोज आॅफ हो गया।
2022 में देश में 282 पुलिसकर्मी बरी, 225 केस खत्म
इस साल देश भर में 282 पुलिसकर्मी बरी हुए या उनके मामले डिस्पोज आॅफ हुए। इसी तरह इससे पूर्व के साल में 33 प्रकरण दर्ज किए गए। इस साल 24 मामलों की चार्जशीट प्रस्तुत की गई। वहीं 46 के प्रकरण वापस लिए गए। इस साल 168 पुलिसकर्मी आरोपों से बरी हुए या उनके मामले डिस्पोज आॅफ हुए। इस साल देश भर में 225 पुलिसकर्मियों के मामले डिस्पोज आॅफ हुए या वे बरी हुए।
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