उज्जैन
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास के पांचवे सोमवार पर आस्थावानों की भीड़ उमड़ पड़ी है। बाबा महाकाल के निराकार से साकार स्वरूप में होने वाली भस्मआरती के दर्शनों के लिए देर रात से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की कतार लगना शुरू हो गई, जिसके बाद रात 2:30 बजे मंदिर के पट खुलते ही पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो उठा। भस्मआरती के पहले मंदिर में पुजारी, पुरोहितों ने जलाभिषेक कर भगवान महाकाल का भांग और सूखे मेवे से श्रृंगार किया। पूजन के बाद महानिवार्णी अखाड़े ने भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने चलायमान दर्शन व्यवस्था के तहत अपने इष्ट देव बाबा महाकाल के दर्शनों का लाभ लिया।
श्रावण मास में बाबा महाकाल के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इस मास में अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को बाबा महाकाल की सुबह होने वाली भस्म आरती के दर्शनों का लाभ मिल सके इसीलिए मंदिर में इन भस्मआरती के चलायमान दर्शन की व्यवस्था की गई है। जिसका लाभ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं को मिल रहा है। आज श्रावण मास के पांचवे सोमवार पर भी शहर ही नहीं बल्कि देश विदेशों से आए श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल की भस्म आरती के दर्शनों का लाभ लिया। रात 2:30 बजे से शुरू हुआ बाबा महाकाल के दर्शनों का क्रम अनवरत जारी है। श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद ले रहे हैं।
शाम 4 बजे सवारी निकाली जाएगी। इस दिन 5 लाख भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है। दिनभर दर्शन का सिलसिला चलता रहेगा। यह रात 10.45 पर शयन आरती के बाद समाप्त होगा। बाबा महाकाल लगातार 20 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे।
40 मिनट में दर्शन की व्यवस्था
मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि भक्तों की भीड़ बढ़ने की संभावना है। इसके लिए भक्तों को 40 मिनट में दर्शन मिल सकें, इसके इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि अल सुबह भस्म आरती में भगवान महाकाल पहला पूजन किया गया। गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल पूजन किया।
हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती के बाद भांग, चंदन, अबीर के साथ महाकाल ने मस्तक पर ऊं चंद्र और त्रिपुण्ड अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई।
पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था
भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता की गई है। जिला और पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों को तैनात किया है। सुबह जिन श्रद्धालुओं को भस्म आरती में अनुमति नहीं मिली, उन्हें चलित भस्म आरती से दर्शन कराए गए।
शाम 4 बजे भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे बाबा महाकाल
अधिक मास होने के चलते पांचवीं सवारी शाम 4 बजे निकाली जाएगी। भगवान महाकाल डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद शामिल होगा। प्रशासन ने सवारी निकलने के दौरान व्यवस्थाएं निर्धारित की हैं। सवारी में चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर और हाथी पर मनमहेश की प्रतिमा, गरुड़ पर सवार भगवान शिव तांडव की प्रतिमा के साथ नंदी रथ पर उमा महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखारविंद शामिल हाेंगे।
सवारी से पहले मंदिर स्थित सभा मंडप में विधिवत भगवान का पूजन किया जाएगा। महाकाल मंदिर से शाही ठाठ-बाट के साथ महाकाल की सवारी शुरू होगी। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान पालकी में सवार राजा महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर देंगे। इसके बाद सवारी आगे बढ़ेगी। सवारी मंदिर से प्रारंभ होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा-अर्चना की जाएगी। पूजन के बाद सवारी परंपरागत मार्ग से होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
इतनी सवारियां निकाली जाएंगी
- पांचवीं सवारी: 7 अगस्त 2023
- छठी सवारी: 14 अगस्त 2023
- सातवीं सवारी: 21 अगस्त 2023
- आठवीं सवारी: 28 अगस्त 2023
- नौवीं सवारी: 4 सितंबर 2023
- अंतिम शाही सवारी: 11 सितंबर 2023
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