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बहन के हत्यारे के खिलाफ 11 साल के भाई ने दी गवाही

 इंदौर
 23 सितंबर 2022 को आजाद नगर में हुई सात साल की बच्ची की हत्या के मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से मृतक बच्ची के 11 साल के भाई की भी कोर्ट में गवाही करवाई गई। कोर्ट में बच्ची के भाई ने बताया कि जिस वक्त सद्दाम मायरा को उठाकर ले गया उस वक्त वो उसी के साथ खेल रही थी। वो उसे जबरदस्ती साथ ले गया। अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक अभिषेक जैन के अनुसार इस आधार पर कोर्ट के सामने यह तर्क दिया गया कि सद्दाम की मंशा बच्ची के साथ गलत काम करने की थी। क्योंकि सिर्फ उसे मारना ही होता तो वह सड़क पर ही वार कर देता। कमरे के अंदर वह गलत मंशा से ले गया। बाहर लोगों की भीड़ जमा हुई और शोर मचा तो उसने बच्ची को मार दिया।

कोर्ट में आइक्यू टेस्ट और चुनाव में वोटिंग को बनाया आधार

11 वर्षीय बच्ची की हत्या को चिन्हित अपराधों में शामिल किया गया था। शुरुआत में तय कर लिया था कि आरोपित को फांसी की सजा मिलना चाहिए। जांच को टीआइ इंद्रेश त्रिपाठी ने की लेकिन डीसीपी जोन-1 अमित तोलानी ने उस वक्त एसीपी रहे आइपीएस मोतीउर रहमान को जिम्मेदारी सौंपी। पुलिस ने भौतिक और वैज्ञानिक साक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया और मौके ही खून से सना चाकू जब्त कर फोरेंसिक जांच करवाई। आरोपित सद्दाम के स्वजन ने उसे मानसिक रोगी बता बचाने की कोशिश की तो पुलिस ने 23 गवाह तैयार किए। इसमें वो रहवासी भी शामिल थे जिन्होंने बताया कि सद्दाम की दिनचर्या सामान्य है और मनोरोगी जैसे कोई लक्ष्ण नहीं देखे।कोर्ट में भी आरोपित के वकील ने दलील दी मगर आइक्यू टेस्ट में स्पष्ट हो गया कि सद्दाम मनोरोगी नहीं बल्कि पूर्णत: स्वस्थ्य है। पुलिस ने आरोपित का वोटर आइडी कार्ड भी जब्त किया और बताया कि मनोस्थिति ठीक है इसलिए उसने चुनाव में मतदान किया है। इससे स्पष्ट हो गया कि सद्दाम ने बच्ची को दुष्कर्म की नियत से अगवा किया और 29 बार चाकू मार कर हत्या कर डाली।

23 जनवरी को सुनवाई पूरी, 31 जनवरी को दोषी करार दिया

आजाद नगर में हुई घटना के बाद लोगों का आक्रोश सात साल की बच्ची के हत्यारे के खिलाफ फूट पड़ा था। उन्होंने थाने का घेराव भी किया था। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर एक अक्टूबर को चालान कोर्ट में प्रस्तुत किया था। विशेष न्यायालय ने 23 जनवरी को सुनवाई पूरी कर ली। 31 जनवरी को सद्दाम को दोषी करार दिया। सोमवार को हत्यारे को धारा 302 में मृत्युदंड और धारा 364 में आजीवन कारावास के साथ पाक्सो एक्ट में सात-सात वर्ष के साथ धारा 342 में एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई। साथ ही 9000 रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया। अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव के अनुसार सभी गवाहों ने सद्दाम के खिलाफ बयान दिए। सद्दाम अपने पक्ष में दो गवाहों को लेकर आया था। हालांकि वे कोर्ट में सद्दाम का पक्ष साबित नहीं कर सके। न्यायालय द्वारा पीड़िता के परिवार को तीन लाख रुपये की प्रतिकर राशि दिलाने का आदेश भी दिया है।