रायपुर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी के एक निजी होटल में आयोजित फेडरेशन ऑफ पीटीआई एम्प्लाइज यूनियन्स द्वारा आयोजित नेशनल मीडिया कान्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा है कि वर्तमान दौर में असंसदीय शब्द के प्रयोग को पूर्णत: हतोत्साहित करने की सख्त जरूरत है और सदन की गरिमा को बनाए रखने के लिए मर्यादित व्यवहार का पालन जरूरी है। उन्होने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ बजट सत्र में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून का प्रस्ताव लाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने मीडिया को लेकर अपनी बात की है। कान्फ्रेंस के थीम में असंसदीय भाषा के मीडिया और लोकतंत्र में बढ़ते प्रयोग पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया की अहम भूमिका होती है। लोकतंत्र और मीडिया आधुनिक युग में न सिर्फ एक दूसरे के पूरक है बल्कि एक दूसरे के बिना उनका कोई अस्तित्व ही संभव नहीं है। पूरे विश्व में लोकतंत्र स्थापित करने में मीडिया ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि इस कान्फ्रेंस में मुख्य रूप से मीडिया और लोकतंत्र में असंसदीय शब्दों के प्रयोग पर विमर्श हो रहा है, निश्चित रूप से यह भाषाई प्रदूषण पत्रकारिता और लोकतंत्र दोनों के लिए ही खतरनाक है। यह वास्तव में विचारणीय है। असंसदीय भाषा का लोकहित से कोई सरोकार नहीं होता, यह केवल और केवल घृणित तरीके से कुंठाओं को ही व्यक्त करती है। मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि असंसदीय भाषा का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से भी कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय संस्कृति में स्वतंत्रता का सम्मान किया गया है, तो मयार्दा की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ विकास की दिशा में देश का एक तेजी से उभरता हुआ राज्य है। यहां हर वर्ग के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के पत्रकार अपने पेशागत दायित्वों के साथ-साथ पारिवारिक दायित्वों को बेहतर तरीकों से निर्वाह कर सकें। इसके लिए कई तरह की योजनाओं का संचालन राज्य में किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की दिशा में तेजी से पहल की जा रही है और बजट सत्र में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने प्रस्ताव लाया जाएगा। यहां वरिष्ठ मीडियाकर्मी सम्मान निधि योजना संचालित है। इस योजना में पत्रकारों को दी जानी वाली राशि को बढ़ाकर हमने दो गुना कर दिया है। राज्य में नए अधिमान्यता नियमों के अंतर्गत मीडिया संस्थानों में अधिमान्यता कोटा भी दोगुना कर दिया गया है। अब राज्य स्तर से लेकर विकासखंड स्तर तक अधिमान्यता दी जा रही है। पत्रकारों को गंभीर बीमारी के इलाज आदि के लिए आर्थिक सहायता प्रदाय की जाती है।
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