बिलासपुर
आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर दायिर याचिका पर पिछले दिनों राज्यपाल सचिवालय को हाईकोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने कहा था पर आज सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जारी अपनी नोटिस पर रोक लगा दी है।
उल्लेखनीय है कि सचिवालय की ओर से एक आवेदन गुरुवार को हाईकोर्ट में लगाया गया था जिसमें कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल को अपने कार्यालय की शक्तियों और कार्यों को लेकर विशेषाधिकार है। इसके तहत वह किसी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं है। इसके चलते हाईकोर्ट उसे नोटिस जारी कर जवाब नहीं मांग सकता। सचिवालय की ओर से अधिवक्ता बी गोपाकुमार ने कहा कि किसी विधेयक पर कितने दिनों में निर्णय लेना है, इसकी भी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। राज्यपाल सचिवालय की ओर से मांग की गई थी कि उक्त नोटिस पर रोक लगाई जाए। गुरुवार को हाईकोर्ट में इस पर बहस हुई थी और फैसला सुरक्षित रखा गया था। शुक्रवार को कोर्ट ने यह माना कि राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है और उसने अपनी नोटिस पर रोक लगा दी।
उल्लेखनीय हैं कि लगभग 2 माह पूर्व छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया गया था। इसमें अनुसूचित जनजाति के लिए 32, अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग के लिए 27, अनुसूचित जाति के लिए 13 और सामान्य वर्ग से आर्थिक पिछड़े वर्ग के लिए 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया है। इसके विरुद्ध अधिवक्ता हिमांग सलूजा की ओर से तथा राज्य शासन की तरफ से अलग-अलग याचिकाएं हाईकोर्ट में लगाई गई है।
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